देश की सुरक्षा के लिए सुरक्षा एजेंसियां हमेशा सतर्क रहती हैं. भारत में हुए कई आतंकी हमलों के बाद सुरक्षा एजेंसियों की नजर अब सभी आतंकियों और उनके संगठनों पर रहती है. रॉ जैसी सुरक्षा एजेंसियों की मदद से सुरक्षाबलों ने कई बार आतंकियों को मार गिराया है. हालांकि, सवाल यह है कि अगर कोई आम आदमी दाऊद इब्राहिम जैसे आतंकी को मारता है तो उसे इनाम मिलेगा या सजा मिलेगी. आज हम आपको इसके बारे में जानकारी देंगे. 


आतंकी संगठन


दुनियाभर में आतंकवाद एक वैश्विक समस्या है. अपने देश भारत का दुर्भाग्य यह है कि पड़ोसी देश पाकिस्तान में सबसे अधिक आतंकी संगठन सक्रिय रहते हैं और वे भारत में आतंकियों हमलों को अंजाम देने की योजना बनाते रहते हैं. हालांकि, देशभर में मौजूद सुरक्षा एजेंसियां और सुरक्षाबल के जवान लगातार उनके हमलों को रोकते हैं और आतंकियों को मार गिराते हैं. अब सवाल यह है कि अगर कोई आम इंसान किसी आतंकी को मारता है तो उसे इनाम मिलेगा या सजा मिलेगी. 


दाऊद इब्राहिम


गौरतलब है कि भारतीय राष्ट्रीय जांच सुरक्षा एजेंसी (एनआईए) ने 2022 में दाऊद इब्राहिम के सिर पर 25 लाख रुपये कैश इनाम घोषित किया था. इसके साथ अन्य आतंकियों पर भी अगल-अलग इनाम की घोषणा की गई है. उस वक्त एनआईए के एक अधिकारी ने बताया कि इब्राहिम गैंग भारत में सभी तरह के गलत धंधों में शामिल है. यह गैंग हथियारों, विस्फोटकों, ड्रग्स और फर्जी नोटों की तस्करी के अलावा देश में पाकिस्तानी एजेंसी और आतंकी संगठनों के साथ मिलकर आतंकी गतिविधियों को अंजाम देता है. इसके अलावा एजेंसी ने छोटा शकील पर 20 लाख का और अनीस, चिकना, मेनन पर 15 लाख रुपये का इनाम घोषित कर रखा है.


क्या आतंकवादी को मार सकता है आम आदमी? 


जानकारी के मुताबिक अगर सरकार दाऊद समेत किसी भी अन्य आतंकवादी पर जिंदा या मुर्दा लाने पर इनाम रखती है तो एक बार के लिए कोई आम आदमी दाऊद को मार सकता है और उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी. सवाल अब भी यह है कि क्या कोई व्यक्ति किसी आतंकी को मार सकता है?


एक्सपर्ट के मुताबिक, यह सब कुछ हालात पर निर्भर होता है. अगर कोई व्यक्ति देश,जनता या खुद की रक्षा करते हुए किसी आतंकी को मारता है तो कोर्ट उसे निर्दोष कह सकता है. ऐसी स्थिति में पूरा फैसला कोर्ट के हाथ में होता है. इसके अलावा कोई अन्य आदमी इसमें कुछ नहीं कर सकता है. हालांकि, सरकार और सुरक्षा एजेंसियां उस व्यक्ति की मदद के लिए कोर्ट में अपील कर सकते हैं, जिसके बाद कोर्ट उस व्यक्ति को मानवता के आधार पर छोड़ सकता है. इस तरह के मामलों में फैसला पूरी तरह अदालत पर निर्भर होता है.  


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