किसी दूसरे देश का लीडर भारत में अपराध करे तो क्या उसे हो सकती है जेल? जान लीजिए जवाब
हमारे देश में भारतीय कानून राजनेता हो या आम नागरिक सभी पर लागू होता है, लेकिन कोई विदेश राजनेता हमारे देश में अपराध करता है तो क्या उसे भी किसी तरह की सजा हो सकती है? चलिए जानते हैं.
भारत एक लोकतांत्रिक देश है और यहां के कानून सभी नागरिकों और विदेशी व्यक्तियों पर समान रूप से लागू होते हैं, ऐसे में सवाल ये उठता है कि अगर किसी दूसरे देश का नेता भारत में आकर कोई अपराध करता है तो क्या उसे भारतीय कानून के अनुसार सजा दी जा सकती है? इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमें अंतरराष्ट्रीय कानून और राजनयिक प्रतिरक्षा के सिद्धांत को समझना होगा.
राजनयिक प्रतिरक्षा क्या होती है?
राजनयिक प्रतिरक्षा एक अंतरराष्ट्रीय कानूनी सिद्धांत है जो विदेशी राज्यों के राजनयिकों को मेजबान देश के कानूनों से सुरक्षा देता है. इसका उद्देश्य राजनयिक संबंधों को सही रूप से चलाना है. राजनयिक प्रतिरक्षा के तहत राजनयिकों को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है, न ही उनके निवास पर यानी वो जहां रह रहें हैं उस जगह की तलाशी ली जा सकती है.
यह पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करता है कि वह व्यक्ति किस स्थिति में भारत आया है. अगर वह एक राजनेता के रूप में भारत आया है तो उसे राजनयिक प्रतिरक्षा मिलेगी, लेकिन अगर वह एक निजी यात्रा पर आया है तो उसे राजनयिक प्रतिरक्षा नहीं मिलेगी.
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अगर कोई विदेशी नेता भारत में अपराध करता है तो क्या होगा?
राजनयिक प्रतिरक्षा: अगर विदेशी नेता राजनयिक प्रतिरक्षा का लाभ उठा रहा है तो उसे भारत में गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है. हालांकि, भारत सरकार उस देश से उसके प्रत्यर्पण का अनुरोध कर सकती है.
प्रत्यर्पण: प्रत्यर्पण का मतलब है कि एक देश दूसरे देश को कोई अपराधी सौंपे ताकि उसके खिलाफ मुकदमा चलाया जा सके. अगर विदेशी नेता राजनयिक प्रतिरक्षा का लाभ नहीं उठा रहा है तो भारत सरकार उस देश से उसके प्रत्यर्पण का अनुरोध कर सकती है.
अंतर्राष्ट्रीय दबाव: भारत सरकार अंतर्राष्ट्रीय समुदाय पर दबाव डाल सकती है कि वह उस विदेशी नेता को भारत को सौंपे.
भारत में प्रत्यर्पण के लिए क्या कानून है?
भारत में प्रत्यर्पण के लिए कानून बना हुआ है. भारत की कई देशों के साथ प्रत्यर्पण संधियां की हुई हैं. इन संधियों के तहत दोनों देश एक-दूसरे को अपने देश में हुए अपराधों के लिए फरार अपराधियों को सौंपने के लिए सहमत होते हैं.
ऐसे मामलों में दोनों देशों के बीच राजनीतिक संबंध जरुरी भूमिका निभाते हैं. हालांकि प्रत्यर्पण की प्रक्रिया लंबी और जटिल हो सकती है. दोनों देशों को अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखना होता है.
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