एंबुलेंस या फायर ब्रिगेड की गाड़ी सात लोगों को कुचल दे तो भी उसके ड्राइवर को सजा नहीं होती. बचपन में अक्सर बच्चों के बीच ये बात होती थी, कि अगर कोई एंबुलेंस या फायर ब्रिगेड की गाड़ी किसी आपातकाल स्थिति के लिए जा रही हो और इस दौरान उससे किसी को टक्कर लग जाए तो उसके ड्राइवर के ऊपर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं होती. लेकिन क्या ये बात सच है. चलिए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं.


क्या ये बात सच है?


भारत में अगर एंबुलेंस या फायर ब्रिगेड किसी व्यक्ति को टक्कर मार देती है, तो स्थिति और घटना के पहलुओं पर निर्भर करता है कि एंबुलेंस के ड्राइवर को कितनी सजा मिलेगी. दरअसल, भारतीय कानून के तहत, सभी वाहनों के चालक, चाहे वह आपातकालीन सेवाओं से जुड़े हों या नहीं, को सड़क सुरक्षा और यातायात नियमों का पालन करना आनिवार्य होता है.


हालांकि, एंबुलेंस और फायर ब्रिगेड जैसी आपातकालीन सेवाओं के लिए कुछ छूटें दी जाती हैं, लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं होता है कि उन्हें लापरवाही से वाहन चलाने की अनुमति है. यानी अगर इन वाहनों के ड्राइवरों की लापरवाही की वजह से किसी की मौत होती है तो इन पर कार्रवाई होगी ही.


किस कानून के तहत कार्रवाई होगी


अगर किसी एंबुलेंस या फायर ब्रिगेड के गाड़ी के चालक की लापरवाही से या बिना सावधानी के वाहन चलाने से किसी की जान चली जाती है या कोई व्यक्ति घायल हो जाता है, तो उसे भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 304A के तहत लापरवाही से मौत का कारण माना जा सकता है. इस धारा के तहत अगर ड्राइवर दोषी पाया गया तो उसे दो साल की जेल या जुर्माना या फिर दोनों हो सकता है.


ये छूट मिलती है


एंबुलेंस और फायर ब्रिगेड जैसी आपातकालीन सेवाओं वाली गाड़ियों को कई तरह के छूट भी मिलते हैं. जैसे- ये गाड़ियां आपातकालीन स्थिति में रेड लाइट तोड़ सकती हैं. जरूरी होने पर रॉन्ग साइड पर भी दौड़ सकती हैं. यहां तक कि अगर कोई व्यक्ति जानबूझ कर इनका रास्ता रोके तो उस पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है. इसके अलावा कम से कम उस व्यक्ति को 6 महीने की जेल भी हो सकती है.


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