ताइवान में 7.5 तीव्रता का भीषण भूकंप देखने को मिला है. इस भूकंप ने जापान के दक्षिणी द्वीपों को हिलाकर रख दिया है. इतना ही नहीं भूकंप के कारण तीन मीटर ऊंची सुनामी के लहरों की आशंका पैदा हो गई है. जापान मौसम विज्ञान ने भूकंप के बाद सुनामी की चेतावनी जारी की है. लेकिन क्या आपने सोचा है कि कभी भारत में इतनी तीव्रता का भूकंप आएगा, तो क्या होगा. आज हम आपको बताएंगे कि भारत में इतनी तीव्रता का भूकंप कब आया था.
भारत में आ चुका है सबसे तेज तीव्रता का भूकंप
बता दें कि भारत में अब तक का सबसे विनाशकारी भूकंप बिहार में आया था. ये 15 जनवरी 1934 में बिहार के दिन आया था. इस भूकंप की तीव्रता 8.1 मापी गई थी. इसमें करीब 30,000 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी. इस भूकंप को आज की पीढ़ी ने नहीं देखा है, इसलिए उन्हें उस भूकंप के बारे में कुछ नहीं पता होगा. लेकिन बिहार के बुजुर्ग लोग आज भी इसे भूल नहीं पाए हैं.
दूसरा भूकंप
भारत में दूसरा सबसे विनाशकारी भूकंप गुजरात के भुज का माना जाता है. रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 7.6 थी. इस भूकंप ने भी भारी तबाही मचाई थी. इसमें करीब 20,000 से अधिक लोग मारे गए थे और काफी लोग बेघर हो गए थे.
भूकंप आएगा तो क्या होगा
आज के दौर में भारत के तमाम महानगरों में ऊंची-ऊंची बिल्डिंग बन चुकी हैं. आज अगर भारत में 1934 बिहार जैसा भूकंप आता है, तो सैकड़ों बिल्डिंग भूकंप के झटके से ध्वस्त हो जाएगी. जिसका असर सबसे ज्यादा असर भारत के जिस क्षेत्र में भूकंप का झटका अधिक होगा, वहां पर पड़ेगा.
कितनी तीव्रता वाला भूकंप होता है खतरनाक
बता दें कि हर भूकंप की तीव्रता को अलग कैटेगरी में रखा जाता है. 2.5 से 5.4 तीव्रता वाले भूकंप माइनर कैटेगरी में होते हैं. 5.5 से 6 तीव्रता वाले भूकंप को हल्का खतरनाक भूकंप माना जाता है. इसमें मामूली नुकसान होने की संभावना जताई जाती है. अगर 6 से 7 तीव्रता का भूकंप आता है तो महानगरों और ज्यादा जनसंख्या वाले क्षेत्र में नुकसान ज्यादा हो सकता है. क्योंकि वहां पर बिल्डिंग मौजूद होती हैं. वहीं 7 से 7.9 के भूकंप को खतरनाक माना जाता है, जिसमें बिल्डिंग्स में दरार या उनके गिरने की आशंका रहती है. इससे ऊपर की तीव्रता वाले सभी भूकंप को बेहद खतरनाक कैटेगरी में रखा जाता है.
क्यों आता है भूकंप
सवाल ये है कि क्यों आता है भूकंप? दरअसल ये पृथ्वी टैक्टोनिक प्लेटों पर स्थित है. इसके नीचे तरल पदार्थ लावा है. ये प्लेट्स जो लगातार तैरती रहती हैं और कई बार आपस में टकरा जाती हैं. बार-बार टकराने से कई बार प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं और ज्यादा दबाव पड़ने पर ये प्लेट्स टूटने लगती हैं. ऐसे में नीचे से निकली ऊर्जा बाहर की ओर निकलने का रास्ता खोजती है और इन सब कारणों से भूकंप आता है.
भूकंप की तीव्रता
भूंकप की जांच रिक्टर स्केल से की जाती है. रिक्टर स्केल भूकंप की तरंगों की तीव्रता मापने का एक गणितीय पैमाना होता है, इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है. रिक्टर स्केल पर भूकंप को इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है. ये स्केल भूकंप के दौरान धरती के भीतर से निकली ऊर्जा के आधार पर तीव्रता को मापता है.
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