क्या लोहे के पारस टच कर दे तो वो सोना बन जाता है? क्या सच में ऐसा होता है?
पारस पत्थर की कहानियां हम बचपन से सुनते आ रहे हैं. जिसके बारे में कहा जाता है कि यदि उसे लोहेे से टच कर दिया जाए तो वो सोना बन जाता है. तो चलिए इसके पीछे की हकीकत जानते हैं.
हिंदुस्तान का इतिहास काफी पुराना है. जिसमें पारस पत्थर को लेकर भी कई कहानियां है. ऐसे में हर किसी के मन में ये सवाल उठता है कि आखिर ये पत्थर होता कहां होगा और क्या सच में इस पत्थर से लोहा छूआ दिया जाए तो वो सोना बन जाता है. तो चलिए इसके पीछे क्या कहानियां है जानते हैं.
क्या है पारस पत्थर की कहानी?
पारस पत्थर से जुड़ी एक पुरानी कहानी के अनुसार, अपनी गरीबी से तंग आकर एक ब्राह्मण भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए कठोर तप करने लगा था. जिसके बाद भगवान शिव ने उसे सपने में दर्शन देकर बताया कि वृंदावन में एक सनातन गोस्वामी हैं, उनके पास जाकर पारस पत्थर मांगो, जिससे तुम्हारी निर्धनता दूर हो जाएगी.
फिर वहीं गाढ़ दिया पारस पत्थर
जब ब्राह्मण उस गोस्वामी से मिला तो उन्हें देखकर हैरान रह गया, क्योंकि उनके पास सिर्फ एक जीर्ण धोती और दुपट्टा था. इसके बाद वो गोस्वामी के पास गया और अपनी निर्धनता के बारे में उन्हें बताया. साथ ही उसने गोस्वामी जी से पारस पत्थर भी मांग लिया. गोस्वामी जी से लेकर जब ब्राम्हण ने उस पत्थर को लोहे से स्पर्श करवाया तो वो लोहा सोने में बदल गया. ऐसे में ब्राह्मण के मन में आया कि जरूर गोस्वामी जी के पास इससे भी ज्यादा मूल्यवान वस्तु है, यही वजह है कि उन्होंने मुझे ये पत्थर दिया है. ऐसेे में उस ब्राम्हण ने उस पत्थर को वहीं मिट्टी में गाढ़ दिया और सोने को पानी में फेंक दिया और गोस्वामी जी से दिक्षा लेने चला गया.
पारस पत्थर को कई राजाओं ने खोजा
कहानियां ये भी हैं कि जिस भी राजा को इस पारस पत्थर के बारे में पता चला उसने वहां इस पत्थर की खोज कराई, लेकिन कभी किसी को अबतक ये पत्थर नहीं मिल पाया हैै.
कहा जाता है कि भोपाल से 50 किलोमीटर दूर रायसेन में मौजूद किले में पारस पत्थर आज भी है. कहा ये भी जाता है कि इस किले में पारस पत्थर को लेकर कई बार युद्ध हुए थे. जब राजा को लगा कि वो युद्ध हार जाएंगे तो उन्होंने पारस पत्थर को किले में मौजूद तालाब में फेंक दिया. जिसके बाद राजा ने किसी को नहीं बताया कि पत्थर कहां छिपा है, लेकिन माना जाता है कि पत्थर आज भी वहीं किले में मौजूद है. हालांकि अब तक इसका अभी तक कोई प्रमाण नहीं मिला है. पारस पत्थर से जुड़ी कहानियां कई हैं, लेकिन कहा जाता है कि ये अबतक किसी को ये पत्थर मिला नहीं. जिसके चलते ये सच है या नहीं इसके बारे में पुख्ता तौर पर कोई नहीं बता सकता.
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