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अगर कोई NSG कमांडो किसी आम इंसान को गोली मार दे तो उसे कोर्ट सजा देगी या आर्मी?

चलिए जानते हैं कि अगर NSG कमांडो ऑफ ड्यूटी के दौरान किसी कारण से किसी आम इंसान को गोली मार दे तो उस पर भी कार्रवाई उसी तरह से होगी, जैसे किसी आम भारतीय नागरिक पर होती है?

NSG कमांडो देश की क विशेष सुरक्षा इकाई है. इस फोर्स का इस्तेमाल अक्सर बहुत ज्यादा संवेदनशील और जोखिम भरे ऑपरेशनों के लिए किया गया है. आमतौर पर NSG कमांडो को आतंकवाद विरोधी ऑपरेशनों, हाईजैक, मास किडनैपिंग और हाई-प्रोफाइल सुरक्षा स्थितियों से निपटने के लिए तैनात किया जाता है.

चलिए अब जानते हैं कि अगर कोई NSG कमांडो किसी आम इंसान को गोली मार दे तो उस पर किस तरह से कार्रवाई होगी. इसके साथ ही ये भी जानेंगे कि इस तरह के मामलों में एनएसजी कमांडो के ऊपर जो कार्यवाही होगी वो सिविल कोर्ट में होगी या आर्मी कोर्ट में.

कौन सा कानून होता है लागू

आपको बता दें, NSG कमांडो भारतीय सशस्त्र बलों और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों से लिए गए विशेष जवान होते हैं, जिन्हें आतंकवाद से लड़ने और विशेष सुरक्षा के लिए तैयार किया जाता है. NSG कमांडो को आमतौर पर ब्लैक कैट कमांडो के नाम से भी जाना जाता है.

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इनकी ट्रेनिंग, अनुशासन और हथियारों के इस्तेमाल की क्षमता, आम सुरक्षा बलों की तुलना में कहीं ज्यादा होती है. हालांकि, इसके बावजूद भी अगर NSG कमांडो किसी गैर-कानूनी हरकत में शामिल हो या किसी की हत्या कर दे तो उसे भारतीय कानून के तहत ही जिम्मेदार ठहराया जा सकता है.

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किस कोर्ट में चलता है केस

अगर NSG कमांडो ऑफ ड्यूटी के दौरान किसी कारण से किसी आम इंसान को गोली मार दे तो उस पर भी कार्रवाई उसी तरह से होगी, जैसे किसी आम भारतीय नागरिक पर होती है. यानी एनएसजी कमांडो की गोली से किसी व्यक्ति की मौत हो जाए तो एनएसजी कमांडो पर धारा 302 के तहत केस दर्ज होगा. भारतीय न्याय संहिता में ये धारा अब 103 हो गई है. अगर एनएसजी कमांडो दोषी पाया गया तो उसे भी उतनी ही सजा होगी, जितनी किसी आम इंसान को होगी.

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अगर किसी ऑपरेशन के दौरान गोली मार दे तब?

अगर NSG कमांडो किसी ऑपरेशन के दौरान गलती से किसी आम इंसान को गोली मार दे और ऐसे में आम इंसान की मौत हो जाए तो उस स्थिति में मामले को देखते हुए सिविल कोर्ट इस पर खुद संज्ञान ले सकता है. दरअसल, आर्मी कोर्ट में सिर्फ सेना के जवानों पर कार्रवाई होती है. एनएसजी कमांडो सेना के अंतर्गत नहीं आते. इसमें भारतीय सेना के जवान भर्ती भी नहीं होते हैं. इस स्पेशल फोर्स की रिपोर्टिंग गृह मंत्रालय को होती है. जबकि, भारतीय सेना रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आता है.

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