हवाई जहाज में अगर इमरजेंसी हो तो ऐसे खुलता है Exit gate
यात्रियों को बाकायदा इसकी जानकारी दी जाती है कि इमरजेंसी गेट को कैसे खोलना है. इमरजेंसी गेट के पास बैठने वाले यात्री को इसकी शॉर्ट ट्रेनिंग भी दी जाती है.
How to open exit gate in plane: लंबी यात्रा के लिए हवाई जहाज एक बेहतर विकल्प होता है. लेकिन कई बार विमान में इमरजेंसी की स्थिति भी बन जाती है. वैसे तो ऐसे हालातों से निपटने के लिए एयरलाइंस बाकायदा गाइडलाइन जारी करती हैं और मौके पर ही जरूरी निर्देशों की घोषणा भी की जाती है. आपात स्थिति में विमान से बाहर आने लिए इसमें इमरजेंसी एग्जिट गेट की व्यवस्था की जाती है. विमान में यह ऐसा गेट होता है जिसे इमरजेंसी के दौरान थोड़ा प्रेशर बनाकर खोला जा सकता है. अगर आप भी विमान से सफर करते हैं तो आपको भी यह मालूम होना चाहिए कि विमान का इमरजेंसी गेट कब और कैसे खोला जाता है, ताकि विपरीत परिस्थितियों में यह सबकी जान बचाने के लिए काम आए. आइए जानते हैं...
दी जाती है शॉर्ट ट्रेनिंग
यात्रियों को बाकायदा इसकी जानकारी दी जाती है कि इमरजेंसी गेट को कैसे खोलना है. इमरजेंसी गेट के पास बैठने वाले यात्री को इसकी शॉर्ट ट्रेनिंग भी दी जाती है. एग्जिट गेट को ओपन करने के लिए यात्री को अपनी सीट के बगल में लगे ग्रिल हैंडल का इस्तेमाल करना होता है.
कैसे खुलता है एग्जिट गेट
एग्जिट गेट के पास बैठे यात्री के दाहिने हिस्से में गेट के ठीक ऊपर की तरफ एक लाल रंग का हैंडल दिया होता है. जिस पर 'पुल टू ओपन' लिखा होता है. विपरीत परिस्थिति में एग्जिट गेट को खोलने के लिए इस हैंडल को पकड़कर अपनी तरफ खींचना होता है. ऐसा करने पर गेट खुल जाता है और आपातकाल की स्थिति में यात्री इस गेट से विमान से बाहर निकल सकते हैं.
कब खोलना होता है?
विमान का एग्जिट गेट कब खोलना है, इसका फैसला यात्री नहीं बल्कि केबिन क्रू के सदस्य लेते हैं. जब खोलने की जरूरत होती है तो उनकी घोषणा के बाद ही इसे खोला जा सकता है. जब क्रू मेंबर्स को लगता है कि वाकई में इमरजेंसी की स्थिति बन गई है या हालात बिगाते जा रहे हैं और केबिन क्रू की बात यात्रियों तक नहीं पहुंच रही है तो घोषणा के बाद इसे खोला जा सकता है.
अगर बताई गईं स्थितियों के अलावा किसी भी सूरत में कोई यात्री इमरजेंसी एग्जिट गेट ओपन करता है तो ऐसा करना एक दंडनीय अपराध माना जाता है. ऐसा करने वाले यात्री पर सख्त कार्रवाई की जाती है. हालांकि, कार्रवाई कितनी सख्त और किस रूप में होगी, यह इस आधार पर तय होता है कि उस समय के हालात कैसे थे और साथ में सफर कर रहे दूसरे यात्री इससे कितना प्रभावित हुए.
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