भारतीय चुनावी प्रक्रिया में स्ट्रॉन्ग रूम बहुत ही खास रोल प्ले करता है. यह वो जगह है जहां चुनाव के दौरान इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) और बैलट बॉक्स जैसी जरुरी चीजें रखी जाती है, ताकि यह तय किया जा सके कि मतदान की प्रक्रिया पूरी तरह से सही और सुरक्षित तरीके से हुई है, लेकिन क्या होगा यदि स्ट्रॉन्ग रूम में चोरी हो जाए या किसी प्रकार की गड़बड़ी हो? क्या ऐसे मामले में चुनाव दोबारा कराए जा सकते हैं? इस सवाल का जवाब जानना बहुत जरूरी है, क्योंकि चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता और निष्पक्षता इस पर निर्भर करती है.


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स्ट्रॉन्ग रूम क्यों है जरुरी?


चुनाव में स्ट्रॉन्ग रूम को एक सुरक्षित और लॉक किए गए कमरे के रूप में तैयार किया जाता है, जहां वोटिंग के बाद की सभी सामग्री, जैसे कि EVMs और बैलट पेपर रखी जाती है. इस कमरे की सुरक्षा की जिम्मेदारी चुनाव आयोग की होती है. सुरक्षा के कड़े इंतजाम होते हैं, जैसे सीसीटीवी निगरानी, केंद्रीय बलों की तैनाती और पुलिस की कड़ी सुरक्षा.


चोरी होगी तो क्या होगा?


यदि किसी प्रकार की चोरी या गड़बड़ी होती है, तो चुनाव आयोग और अदालतें इसके परिणामों को गंभीरता से लेंगी. इस प्रकार की घटना के लिए, चुनाव आयोग पहले तो उस विशेष क्षेत्र के चुनाव परिणामों को रद्द कर सकता है. यदि यह साबित हो जाता है कि स्ट्रॉन्ग रूम से किसी तरह की छेड़छाड़ या चोरी हुई है, तो वोटिंग मशीनों की सुरक्षा को और बढ़ा दिया जाता है और ऐसे में चुनाव को दोबारा कराने का आदेश दिया जा सकता है.


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चुनाव आयोग की कार्रवाई


चुनाव आयोग के पास ऐसी घटनाओं का जायजा लेने के लिए एक कड़ा सिस्टम है. अगर EVM या बैलट बॉक्स में कोई गड़बड़ी पाई जाती है, तो पहले तो साक्ष्यों की जांच की जाती है. इसके बाद यदि गड़बड़ी पाई जाती है, तो चुनाव परिणामों को रद्द किया जा सकता है. ऐसी स्थिति में उस क्षेत्र के लिए उपचुनाव कराने का आदेश दिया जा सकता है.


क्या दोबारा चुनाव कराना जरूरी है?


स्ट्रॉन्ग रूम में चोरी या गड़बड़ी की स्थिति में दोबारा चुनाव कराने का फैसला केवल अदालतों या चुनाव आयोग द्वारा ही लिया जा सकता है. यह फैसला प्रारंभिक जांच और साक्ष्यों के आधार पर लिया जाएगा. अगर यह साबित होता है कि चोरी या गड़बड़ी से चुनावी प्रक्रिया प्रभावित हुई है और जनता का विश्वास डगमगाया है, तो दोबारा चुनाव कराने की जरुरत हो सकती है.


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