Impeachment of Judges: हाल ही में इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज शेखर कुमार यादव ने विश्व हिंदू परिषद के एक कार्यक्रम में विवादित बयान दिया. उन्होंने अल्पसंख्यकों पर आपत्तिजनक टिप्पणियां कीं, इस बयान के बाद जस्टिस शेखर कुमार यादव की चारों तरफ आलोचना हो रही है. इतना ही नहीं इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर जस्टिस शेखर कुमार यादव के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए शिकायत भी की गई है. तो इसके अलावा विपक्षी दलों का गठबंधन इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज शिखर कुमार यादव के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी में है. चलिए आपको बताते हैं कैसे किसी जज के खिलाफ लाया जाता है महाभियोग और कौन सुनाता है इस पर आखिरी फैसला. 


कैसे लाया जाता है जज के खिलाफ महाभियोग?


भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124(4) के तहत सुप्रीम कोर्ट के किसी भी जज के खिलाफ महाभियोग चलाया जा सकता है. तो वहीं संविधान के अनुच्छेद 218 के तहत हाईकोर्ट के जजों पर भी यही प्रावधान लागू होते हैं. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124(4) के अनुसार संसद की ओर से किसी जज के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया के तहत हटाने को लेकर मिस बिहेवियर और इनकैपेसिटी यानी प्रमाणित कदाचार और असक्षमता को आधार माना गया है. 


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क्या होती है महाभियोग की प्रक्रिया?


जजों पर महाभियोग संसद के किसी भी सदन में लाया जा सकता है. लोकसभा में इसके लिए कम से कम 100 सदस्यों के समर्थन की आवश्यकता होती है. तो वहीं राज्यसभा में इसके लिए 50 सदस्यों के हस्ताक्षर जरुरी होते हैं. इस प्रस्ताव के आने के बाद संसद की तरफ से एक जांच समिति का गठन किया जाता है. इसके बाद जांच समिति अपनी रिपोर्ट को संसद को सौंपती है. 


इसके बाद संसद के दोनों सदनों में उस पर बहस की जाती है. जिसमें जज को भी अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाता है. महाभियोग के प्रस्ताव को पारित करने के लिए बहुमत की जरूरत होती है और संसद जो फैसला लेती है. उस पर आखिरी मोहर भारत के राष्ट्रपति की होती है.


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कौन-कौन होता है जांच कमेटी में शामिल?


अब सवाल आता है संसद द्वारा लाए गए महाभियोग प्रस्ताव के बाद जो जांच कमेटी बनाई जाती है. उनमें कौन-कौन शामिल होता है. महाभियोग प्रस्ताव के बाद लोकसभा के अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति मिलकर जांच के लिए एक तीन सदस्यीय समिति का गठन करते हैं. इस समिति की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश या किसी अन्य जज के हवाले की जाती है. इस समिति में किसी भी हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को शामिल किया जाता है. तो वहीं लोकसभा के अध्यक्ष या राज्यसभा के सभापति की ओर से एक प्रतिष्ठित कानूनविद को भी शामिल किया जाता है. 


किसका होता है आखिरी फैसला?


संसद में महाभियोग के प्रस्ताव के बाद जांच समिति जब अपनी रिपोर्ट पूरी करके लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति को सौंपती है. इसके बाद दोनों ही सदनों पर रिपोर्ट पर बहस होती हैय अगर जांच रिपोर्ट में लगाए गए आरोप सही नहीं पाए जाते हैं, तो प्रस्ताव वहीं खारिज हो जाता है. लेकिन आप सही पाए जाते हैं. तो फिर दोनों सदनों की ओर से राष्ट्रपति को आरोपी जज को हटाने की सिफारिश की जाती है. 


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