सितार, गिटार और वीणा सबसे प्रसिद्ध म्यूजिकल इंस्टूमेंट्स में से एक हैं. ये भारतीय संगीत से जुड़े ऐसे वाद्ययंत्र हैं जिनका इस्तेमाल कई दशकों से लोगों का मनोरंजन करने के लिए किया जा रहा है. इन तीनों वाद्ययंत्रों को तारों के माध्यम से बजाया जाता है फिर भी तीनों का संगीत अलग-अलग होता है लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि ऐसा होता क्यों है? तारों से बजने वाले तीनों इंस्टूमेंटस आखिर अलग-अलग संगीत कैसे पैदा करते हैं. तो चलिए आज इस स्टोरी में हम आपकी इस जिज्ञासा को शांत करते हैं.
कैसे सितार-गिटार और वीणा से उत्पन्न होता है अलग-अलग संगीत?
सितार सबसे प्रसिद्ध म्यूजिकल इंस्टूमेंट्स में से एक होता है इसमें 13 स्ट्रिंग होती हैं. इंडियन कल्चर को बताती आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार सितार को तून,धातु, तुमड़ी और चिकरी से बनाया जाता है. मुख्य तौर पर इसका उपयोग पूरे उत्तर भारत में शास्त्रीय संगीत समारोहों में किया जाता है.
वहीं वीणा की उत्पत्ति को भारत के इतिहास से जोड़कर देखा जाता है. मुख्यरूप से ये जैकवुड नाम के पेड़ की लकड़ी से तैयार की जाती है. जिसकी लम्बाई 1.5 मीटर होती है. वहीं इसमें 24 ब्रास होते है. इसके अलावा वीणा मूलत: चार तारों की होती है. कहा जाता है कि सितार, गिटार और बैंजो की उत्पत्ति इसी से हुई है.
इसके अलावा गिटार को महोगनी, ऐश, मेपल, बासवुड, अगाथिस, एल्डर, पोपलर, अखरोट, स्प्रूस और होली लकड़ी से तैयार किया जाता है. ये भी एक तार वाला वाद्ययंत्र है.
अब सवाल ये उठता है कि तार से बजने वाले तीनों यंत्रों की ध्वनि अलग-अलग कैसे होती है तो बता दें कि इन तीनों यंत्रों का डिजाइन अलग-अलग होता है. ऐसे में आकार भिन्न होने पर तीनों यंत्रों में से ध्वनि भी अलग-अलग उत्पन्न होती है. जिससे आपको भी इसकी अलग-अलग आवाज आती है.