Nuclear Weapon Control Power In India: दुनिया में अब तक एक देश ने एक देश पर परमाणु हमला किया है. और वह परमाणु हमला हुआ था साल 1945 में जब अमेरिका ने जापान के दो शहर नागसाकी और हिरोशिमा पर वर्ल्ड वॉर 2 के समय लिटिल बॉय और फैट मैन नाम के दो परमाणु बम गिराए थे. परमाणु बम के बाद जापान के उन शहरों में भीषण तबाही मची थी. अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति हैरी एस ट्रूमैन इस हमले को करने का आदेश दिया था.
अमेरिका में परमाणु हथियार का कंट्रोल अमेरिका के प्रेसिडेंट के पास होता है. और वही इस परमाणु हमले का आदेश दे सकता है. इसी बीच कई लोगों के मन में यह सवाल भी आता है कि अमेरिका में जहां प्रेसिडेंट के हाथों में परमाणु हथियारों का कंट्रोल होता है. तो वहीं भारत में किसके पास होती है यह पावर. चलिए आपको बताते हैं इस बारे में.
पीएम मोदी के पास होता है कंट्रोल?
जिस तरह अमेरिका में राष्ट्रपति के पास परमाणु हथियारों का कंट्रोल होता है. अमेरिकी राष्ट्रपति के सुरक्षा रास्ते में चलने वाले सुरक्षा कर्मी अपने साथ न्यूक्लियर फुटबॉल लेकर चलते हैं. जिसके अंदर न्यूक्लियर हमला इनीशिएट करने के लिए जरूरी चीजें होती हैं. भारत में यह पावर, न्यूक्लियर हथियारों पर कंट्रोल किसके हाथों में होता है. कई लोगों को लगता है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों में होता है.
यह भी पढ़ें: क्या गमलों में उगाया गया गांजा भी खेतों वाली भांग जितना ही नशीला होता है? जान लीजिए जवाब
तो बता दें यह बात आधी सच है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास न्यूक्लियर हथियारों का कंट्रोल होता है. उनके पास एक स्मार्ट कोड भी होता है जिसका इस्तेमाल करके न्यूक्लियर वेपंस लॉन्च किया जा सकता है. हालांकि सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों में ही न्यूक्लियर हथियार छोड़ने का अधिकार नहीं होता.
यह भी पढ़ें: जब एक महिला ने पकड़ लिया था नेहरू का गिरहबान, देश के पहले प्रधानमंत्री ने अपने जवाब से यूं बंद की थी बोलती
न्यूक्लियर कमांड अथॉरिटी की सलाह से होता है फैसला
भारत में यूं तो परमाणु हथियार का कंट्रोल भारत के प्रधानमंत्री के पास होता है. लेकिन अगर प्रधानमंत्री चाहे तो किसी भी देश पर परमाणु हमले का आदेश नहीं दे सकता. भारत में परमाणु हथियारों से जुड़े फैसले परमाणु कमान प्राधिकरण यानी न्यूक्लियर कमान अथॉरिटी के द्वारा मिलकर लिए जाते हैं. न्यूक्लियर कमान अथॉरिटी की दो विंग होती हैं. जिनमें एक पॉलिटिकल काउंसिल होती है.
तो वहीं दूसरी एग्जीक्यूटिव काउंसिल होती है. एग्जीक्यूटिव काउंसिल के हेड भारतीय सुरक्षा सलाहकार (नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर) होते हैं. तो वहीx पॉलिटिकल काउंसिल को हेड भारत के प्रधानमंत्री करते हैं. न्यूक्लियर कमांड अथॉरिटी द्वारा मिलकर लिए गए फैसले के आधार पर ही प्रधानमंत्री न्यूक्लियर हथियार इस्तेमाल करने का फैसला लेते हैं
यह भी पढ़ें: यहां बचपन में तय हो जाती है शादी, बड़े होकर तोड़ने पर देने होते हैं लाखों रुपये