What is Mummy: हाल ही में मिस्र में नील नदी के पश्चिमी तट पर कुब्बत अल-हवा में शोधकर्ताओं को एक खंडहर हो चुके मकबरे में बिना सिर वाले 10 प्राचीन मगरमच्छों की ममी मिली हैं. शोधकर्ताओं का मानना है कि देवताओं को खुश करने के लिए मगरमच्छों के इन शवों को अनोखे तरीके से संरक्षित किया गया था. इनमें से कुछ मगरमच्छों के सिर, मरने और सूख जाने के बाद काट दिए गए थे. वैसे तो मिस्र में ममी मिलना कोई नई बात नहीं है. इसके पहले इंसानों सहित बिल्लियों और अन्य जानवरों की ममी भी मिल चुकी हैं, लेकिन इतने मगरमच्छों की ममी एक साथ मिलना हैरान करने वाली बात है. ऐसे में सवाल बनता है कि मगरमच्छों को ममी क्यों बनाया जाता था? आइए जानते हैं ममी क्या होती है? ये कैसे और क्यों तैयार की जाती हैं... 


क्यों बनाई जाती थी मगरमच्छों की ममी?
वैज्ञानिकों को पता चला है कि प्राचीन मिस्र के देवता सोबेक को अक्सर मगरमच्छ या मगरमच्छ के सिर वाले इंसान के रूप में चित्रित किया जाता है. इसलिए उन्हें खुश करने के लिए मगरमच्छों की बलि देकर उन्हें ममी बनाया जाता था. शोधकर्ताओं का कहना है कि ममीकरण की प्रकिया के दौरान कुछ मगरमच्छों को नुकसान हुआ होगा, जबकि कुछ अच्छी तरह से संरक्षित हो गए. कुछ मगरमच्छों के सूखने के बाद उनके सिर भी काट दिए गए थे. वैज्ञानिकों ने बताया कि जानवरों को रेतीले वातावरण में दफनाया गया था जिससे उनका शरीर स्वाभाविक रूप से सूख गया, इसके बाद उनके शवों को ताड़ के पत्तों और कपड़े की चटाई में लपेटा गया और फिर उन्हें मकबरे में लाकर दफना दिया गया.


क्यों तैयार की जाती थी ममी?
प्राचीन मिस्र के लोग जानवरों और अपने प्रियजनों का ममीकरण किया करते थे. उनकी लाशों को ममी बनाकर संरक्षित किया जाता था. प्राचीन मिस्र सहित विश्व के कई देशों में लोग पुनर्जन्म में विश्वास रखते थे. उनका मानना था कि मृत व्यक्ति के शरीर को संभालकर रखा जाना चाहिए, ताकि अगले जन्म में भी उन्हे वही शरीर मिल सके. इसी विचार के साथ प्राचीनकाल में लोगों ने ममी बनाने की प्रक्रिया शुरू की थी. प्राचीनकाल में शुरू हुई यह प्रक्रिया आज भी जारी है.


ममी का अर्थ
मिस्र में ममी बनाने की शुरुआत करीब 2600 ईसा पूर्व हुई थी. लोगों का मानना है कि यह प्राचीन मिस्र का शब्द है, लेकिन असल में यह अरबी भाषा के मुमिया शब्द से बना है. जिसका अर्थ होता है मोम या तारकोल के लेप से सुरक्षित रखी गई चीज. आइए अब जानते हैं कि इन्हे तैयार कैसे किया जाता था.


ममी को कैसे तैयार किया जाता था?
प्राचीनकाल में ममी को पूरी तरह से तैयार करने में लगभग 70 दिन का समय लगता था. धर्मगुरु, पुरोहित और सर्जरी व मानव शरीर का ज्ञान रखने वाले विशेषज्ञ मिलकर इसे तैयार करवाते थे. ममी बनाने के लिए सबसे पहले मृत शरीर और अच्छे से धो लिया जाता था. फिर बड़ी सावधानी से शव से आंतरिक अंगों में दिल को छोड़कर बाकी सभी अंगों जैसे दिमाग, आमाशय, लिवर और फेफड़े आदि को निकाला जाता था. इसके बाद शरीर और इन अंगों से नमी समाप्त करने के लिए इन्हे नैट्रॉन में दबा दिया जाता था. नैट्रॉन एक खास तरह का सॉल्ट होता है, इसमें नमी सोखने वाले गुण होते हैं. 


नमी खत्म होने के बाद शरीर एकदम सूख जाता था, इसलिए शरीर के सिकुड़े हुए हिस्सों को फुलाने के लिए उनमें लिनेन (एक टाइप का कपड़ा) वगैरह भर दिया जाता था. इसके बाद शरीर पर खुशबू और एक्स्ट्रा सेफ्टी के लिए कई तरह के तेल और रेज़िन (पेड़ों से मिलने वाला एक तरह का गोंद टाइप पदार्थ) का लेप लगाया जाता था. इसके बाद उसे लिनेन में लपेटा जाता था. लिनेन को लपेटने के लिए रेज़िन का इस्तेमाल होता था. इसके बाद इसे परत दर परत लिनेन के कपड़े से ढक दिया जाता था.


इसके बाद इसके ऊपर कपड़े की पट्टियां लगाई जाती थीं और ममी को एक ताबूत के अंदर सुरक्षित रख दिया जाता था. कई बार ममी के साथ कुत्ता, बिल्ली, चिड़िया और ममी बने व्यक्ति के जरूरी सामान भी पाए जाते हैं.


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