टैक्टाइल पेवर्स दृष्टिबाधित और कम दृष्टि वाले व्यक्तियों के लिए एक खास सुरक्षा सुविधा हैं. ये विशेष प्रकार के फर्श या फुटपाथ टाइलें हैं जो उभरे हुए डॉट्स या रेखाओं से बनी होती हैं. ये डॉट्स और रेखाएं दृष्टिबाधित लोगों को अपने आसपास के माहौल के बारे में जानकारी देते हैं. ये टाइलें उन्हें बताती हैं कि वे कहां जा रहे हैं, उन्हें किन खतरों का सामना करना पड़ सकता है और उन्हें सुरक्षित रूप से एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने में मदद करते हैं, जैसे कि सड़क पार करने के लिए सुरक्षित स्थान, रैंप या खतरनाक क्षेत्र.


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क्यों जरूरी हैं टैक्टाइल पेवर्स?


ये पेवर्स दृष्टिबाधित लोगों को बिना किसी की मदद के एक जगह से दूसरी जगह जाने में मदद करते हैं. साथ ही पेवर्स दृष्टिबाधित लोगों को खतरों से बचाते हैं जैसे कि सीढ़ियां, गड्ढे या अचानक मोड़. इसके अलावा ये पेवर्स सभी के लिए एक अधिक समावेशी वातावरण बनाते हैं.


कहां लगाए जाते हैं टैक्टाइल पेवर्स?


अब चलिए जानते हैं कि आखिर टैक्टाइल पेवर्स को लगाया कहां जाता है. तो बता दें बस स्टॉप, मेट्रो स्टेशन, रेलवे स्टेशन, खासकर जहां सड़क पार करने के लिए ज़ीब्रा क्रॉसिंग या अंडरपास होते हैं, अस्पताल, स्कूल, कॉलेज, मॉल और पार्कों में भी ये पेवर्स लगाए जाते हैं. ताकि दृष्टिबाधित लोग आराम से टहल सकें.


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कितने प्रकार के होते हैं टैक्टाइल पेवर्स?



  • चेवरॉन: ये तीर के आकार के निशान होते हैं जो एक दिशा में चलने के लिए निर्देश देते हैं.

  • डॉट्स: ये उभरे हुए डॉट्स होते हैं जो खतरों या बदलावों को इंगित करते हैं, जैसे कि सीढ़ियां या रैंप.


कितनी बड़ी इमारत में टैक्टाइल पेवर्स जरूरी हैं?


भारत में दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के तहत सभी सार्वजनिक इमारतों में टैक्टाइल पेवर्स लगाना अनिवार्य है. हालांकि, किसी भी विशेष आकार या आबादी के लिए कोई विशिष्ट नियम नहीं है. सभी सार्वजनिक स्थानों को दृष्टिबाधित लोगों के लिए सुलभ बनाना महत्वपूर्ण है.                                                              


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