कई देशों में टॉयलेट सीट के बीच में बनाई जाती है मक्खी, लेकिन ऐसा क्यों?
कई देशों में टॉयलेट सीट पर मक्खी बनी होती है, लेकिन इसकी वजह कई लोगों को नहीं पता होती. तो चलिए आज हम इसके पीछे का कारण जान लेते हैं.
कई बार देखा जाता है कि टॉयलेट सीट पर मक्खी होती है, जो हमें बहुत परेशान कर देती है. हालांकि शायद आपको जानकर आश्चर्य होगा कि कई देशों में टॉयलेट सीट पर मक्खी जानबुझकर बनाई जाती है. जिसके पीछे का कारण टॉयलेट की सफाई का खर्चा बचाने के लिए किया जाता है. अब आप सोच रहे होंगे कि किसी टॉयलेट सीट पर मक्खी बनाने से उसकी सफाई का खर्चा कैसे बचाया जा सकता है? तो चलिए जान लेते हैं.
कई देशों में टॉयलेट सीट पर क्यों बनाई जाती है मक्खी?
यूरिनल सीट पर मक्खी होना ही जहां परेशान कर देता है वहीं कई देशों में इसे यूरिनल सीट पर पैंट किया जाता है. दरअसल, यूरिनल सीट पर मक्खी मेल यूरिनल पर ही बनाई जाती है, जिसे टारगेट कहा जाता है. दरअसल इसके पीछे की वजह इस मक्खी को टारगेट करके यूरिन करवाने का होता है. जब इसकी शुरुआत की गई थी तो ये माना गया था कि यदि यूरिनल पर इस तरह मक्खी बना दी जाएगी तो व्यक्ति इसे टारगेट करके ही यूरिन करेगा. दिसचस्प बात ये है कि जिस वजह से ये मक्खी बनाई गई उसका उस हिसाब से रिजल्ट भी देखने को मिला.
क्या थी वजह?
अब सवाल ये उठता है कि आखिर इसे बनाया क्यों गया. तो बता दें कि अक्सर ये देखने को मिलता था कि लोग यूरिनल के बाहर ज्यादा यूरिन करते हैं. इसकी वजह से सफाई का काम खासा बढ़ जाता था. ऐसे में यूरिनल पर इस तरह मक्खी बनाना शुरू किया गया, जिससे हर कोई इसे टारगेट करके ही यूरिन करे. खास बात ये थी कि सही में लोगों ने ऐसा ही किया और जिस मकसद से इस तरह मक्खी बनाई गई थी वो मकसद कामयाब रहा.
यहां से हुई थी शुरुआत
सबसे पहले इसकी शुरुआत ब्रिटेन में की गई थी. हालांकि उस समय इस प्रयोग का काफी मजाक भी उड़ाया गया. हालांकि बाद में इसके पॉजिटिव रिजल्ट देखने को मिले, जिसके बाद इसे स्कूल, कॉलेज, एयरपोर्ट, स्टेडियम जैसे पब्लिक प्लेस पर अनाया जाने लगा था.