आज के वक्त बिना पैसों के अच्छे जीवन की कल्पना करना मुश्किल है. बाजार से लेकर शिक्षा हर जगह पर आपको पैसों का भुगतान करना होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिन 500 रुपये के नोट का आप इस्तेमाल करते हैं, उस नोट को बनाने में कितना खर्च आता है. आज हम आपको बताएंगे कि 500 के पुराने नोट और नए नोट में किसको बनाने के लिए ज्यादा खर्च आता है.


500 का नोट 


देश में 8 नवंबर 2016 के दिन नोटबंदी हुई थी. जिसके बाद से देश में 500 और 1000 के पुराने नोट बंद हो गए थे. लेकिन सवाल ये है कि आखिर 500 और 1000 के नोट को बनाने में कितना खर्च आता है. क्या नोटबंदी के पहले नोट मेकिंग का चार्ज ज्यादा था या नोटबंदी के बाद नोट मेकिंग का चार्ज बढ़ा है. आखिर एक 500 के नोट को बनाने में कितना खर्च आता है.


500 नोट का मेकिंग चार्ज


जानकारी के मुताबिक 500 के पुराने नोट का मेकिंग चार्ज या छापने का खर्चा 3.09 रुपए आता था. लेकिन अब जो 500 के नए नोट छपते हैं, उन्हें छापने का खर्च 2.57 रुपये आता है. इसका मतलब है कि पुराने नोटों की तुलना में नए नोट को छापने का खर्च कम आता है.


नए नोटों की मेकिंग चार्ज


बता दें कि 500 के पुराने और नए नोटों में 52 पैसों का अंतर है. जहां पहले 500 के नोट 3.09 रुपये में छपते थे, वहीं अब नए नोटों को छापने का खर्च 2.57 रुपये आ रहा है. यानी नए नोट सस्ते में छप रहे हैं और 52 पैसों की बचत हो रही है. 


नोट छापने का खर्च


जानकारी के मुताबिक 2000 रुपये के एक नोट को छापने में सरकार को 4.18 रुपये खर्च करना होते हैं. वहीं 500 रुपए के एक नोट को छापने का खर्चा 2.57 रुपये आता है. इसके अलावा 100 रुपये के एक नोट को छापने का खर्चा 1.51 रुपए आता है. वहीं 10 रुपये के एक नोट को छापने का खर्चा 1.01 रुपए आता है. आपको सुनकर आश्चर्य होगा कि 20 रुपये के नोट को छापने का खर्चा 10 रुपये के नोट से कम आता है. इसके लिए सरकार को 1 पैसा ही खर्च करना होता है.


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