इस गांव में चलते-चलते कहीं भी सो जाते हैं लोग, वजह जानकर हैरान रह जाएंगे आप
यहां की हालत इतनी खराब है कि लोग कई बार चलते-चलते सो जाते हैं. कलाची गांव में पहली बार ये घटना साल 2010 में हुई. इस साल गांव के स्कूल में कुछ बच्चे अचानक से सो गए और ऐसा सोए कि कई दिनों तक नहीं उठे.
अगर आप एक हेल्दी लाइफस्टाइल चाहते हैं तो आपको अपनी नींद हर रोज पूरी करनी चाहिए. इंसानों के लिए 7 से 8 घंटे की नींद बहुत जरूरी होती है. लेकिन भगदौड़ भरी जिंदगी में कई बार लोग पूरी नींद ले नहीं पाते. हालांकि, ऐसा कभी-कभी ही होता है. लेकिन क्या आप किसी ऐसे गांव के बारे में जानते हैं, जहां के लोग हर समय सोते ही रहते हैं. चलिए आज आपको दुनिया के एक ऐसे अनोखे गांव के बारे में बताते हैं, जहां के लोग चलते-चलते सो जाते हैं.
कहां है ये गांव
हम जिस गांव की बात कर रहे हैं वो कजाकिस्तान में मौजूद है. इस गांव का नाम कलाची है. कहा जाता है कि यहां के लोग कई महीनों तक सोते हैं. यही वजह है कि इस गांव को स्लीपी हॉलो भी कहा जाता है. इस गांव के बारे में दावा किया जाता है कि यहां का हर व्यक्ति साल में कम से कम एक महीने के लिए सो जाता है. अब सवाल उठता है कि आखिर यहां के लोगों के साथ ऐसा क्यों होता है. क्या इस गांव के लोग अपने मन से ऐसा करते हैं या इनके शरीर में कुछ ऐसा होता है, जिसकी वजह से यहां के लोग इतने दिनों तक सो जाते हैं.
यहां के लोगों के साथ ऐसा क्यों होता है
कजाकिस्तान के कलाची गांव से जब इस तरह के मामले ज्यादा सामने आने लगे तो वैज्ञानिकों ने इस पर रिसर्च किया और पता लगाने कि कोशिश की आखिर यहां के लोगों के साथ ऐसा क्यों हो रहा है. रिसर्च में पता चला कि यहां के लोगों के साथ ऐसा दूषित पानी की वजह से हो रहा है. दरअसल, इस गांव के पानी में कार्बन मोनो-ऑक्साइड ज्यादा मात्रा में पाया जाता है. इसकी वजह से लोगों की ये हालत हो रही है.
यहां की हालत इतनी खराब है कि लोग कई बार चलते-चलते सो जाते हैं. कलाची गांव में पहली बार ये घटना साल 2010 में हुई. इस साल गांव के स्कूल में कुछ बच्चे अचानक से सो गए और ऐसा सोए कि कई दिनों तक नहीं उठे. इसके बाद धीरे-धीरे कार्बन मोनो-ऑक्साइड का असर गांव के 14 फीसदी लोगों पर पड़ा और अब पूरा गाव इसकी गिरफ्त में है. इस वजह से इस गांव को लोग अब छोड़ कर जाने भी लगे हैं. हालांकि, जो लोग गरीब तबके से हैं वो अब भी इसी गांव में बने हुए हैं और इस समस्या से जूझ रहे हैं.
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