कुत्ते या बकरी के साथ कराई जाती है लड़की की शादी, ये है इस मान्यता का कारण
दुनियाभर में अलग-अलग धर्मो के लोग रहते हैं. सभी धर्म के लोगों का रीति-रिवाज अलग-अलग होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक जगह ऐसी भी है, जहां इंसानों की शादी कुत्तों के साथ कराई जाती है.
दुनियाभर में सभी धर्मों के लोग रहते हैं. सभी धर्म के लोगों का अपना रीति-रिवाज है. जन्म से लेकर शादी और मृत्यु के कामों तक सभी धर्म के लोगों का अपना विधि-विधान है, जिसको उस धर्म को लोग फॉलो करते हैं. लेकिन आज हम आपको एक ऐसी मान्यता के बारे में बताने वाले हैं, जिसको सुनकर आप एक बार आश्चर्यचकित हो सकते हैं. जी हां, आज हम आपको जिस मान्यता के बारे में बताने वाले हैं, उसमें लड़की की शादी कुत्ते और बकरी से कराई जाती है.
शादी
भारत समेत दुनियाभर में अलग-अलग जगहों पर शादियों की अलग-अलग रस्में हैं. हमारे देश में हर दूसरे समाज और घर में शादी को लेकर अलग रस्में होती हैं. वहीं कई रस्में तो ऐसी होती हैं कि इंसान उनके बारे में सोचने पर मजबूर हो जाता है, इसके अलावा कई रस्में लोगों को हंसने पर मजबूर कर देती हैं. आज हम आपको शादी की एक ऐसी ही रस्म के बारे में बताने जा रहे हैं. यहां कुत्ते या बकरी से लड़की की शादी कराने की मान्यता है.
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कुत्ते और बिल्ली से शादी
दुनियाभर में मौजूद कई परंपरा लोगों को आश्यर्चचकित करती है. ऐसी ही एक परंपरा ओडिशा व झारखंड के सीमावर्ती इलाकों में है. यहां पर इंसानों की शादी कुत्ते से कराई जाती है. दरअसल यहां पर कभी पुरुष की शादी कुतिया से कराई जाती है, वहीं कभी महिला की शादी कुत्ते से कराई जाती है. जी हां, ये सुनने में थोड़ा अजीब जरूर है, लेकिन ये सच है.
जानकारी के मुताबिक परंपरा ये है कि मुंह में ऊपर के दांत पहले निकलने पर बच्चों की शादी जानवरों के साथ कराई जाती है. इतना ही नहीं ये शादी जब होती है, तो पूरे परिवार और गांव के लोग वहां पर इकठ्ठा होते हैं. लोगों की मान्यता है कि ऐसा करने से बच्चा बीमारियों से दूर रहता है. हर वर्ष अलग-अलग गांवों में कुछ विशेष तिथियों पर यह अनोखा विवाह संपन्न कराया जाता है. कोल्हान विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग की ओर से सामाजिक मनोविज्ञान के अंतर्गत अब इन परंपराओं व मान्यताओं को लेकर व्यापक अध्ययन किया जा रहा है.
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किस उम्र में होती है ये शादी
बता दें कि ये शादी बच्चों को बीमारियों से दूर रखने के लिए कराई जाती है. झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम तथा ओडिशा के क्योंझर व मयूरभंज जिले में रहने वाले आदिवासी समुदाय पिछले कई वर्षों से इस परंपरा को निभाते आ रहे हैं. इसके तहत बच्चों का विवाह कुत्ते के साथ संपन्न कराया जाता है. इस परंपरा के तहत अधिकतम पांच साल की उम्र तक बच्चों की शादी कराई जाती है. वहीं अगर यह दोष किसी लड़के पर होता है, उसकी शादी मादा कुतिया से कराया जाता है. वहीं मादा लड़की है, तो नर पिल्ले के साथ पूरे धूमधाम से यह संस्कार पूरा किया जाता है. दरअसल मान्यता यह है कि अगर बच्चों के ऊपर के दांत पहले आ जाएं, तो ऐसे में जीवन में मृत्युदोष सताने लगता है.
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