भारत में विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के कारण कई अनोखे रीति-रिवाज और परंपराएं देखने को मिलती हैं. इनमें से एक अनोखी परंपरा है केरल के कोट्टनकुलंगरा श्री देवी मंदिर में, जहां पुरुषों को देवी की पूजा करने के लिए 16 श्रृंगार करना होता है यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और इसका सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व है. आइए इस स्टोरी में अनोखी परंपरा के बारे में जानते हैं.


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इस मंदिर में लड़के करते हैं श्रृंगार


कोट्टनकुलंगरा श्री देवी मंदिर केरल में स्थित एक प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर है. यह मंदिर देवी भद्रकाली को समर्पित है. इस मंदिर की स्थापना कब हुई थी, इसके बारे में कोई निश्चित जानकारी नहीं है, लेकिन माना जाता है कि यह बहुत पुराना मंदिर है. इस मंदिर में पुरुषों को 16 श्रृंगार करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. इसके पीछे कई कारण बताए जाते हैं. कुछ लोगों का मानना है कि 16 श्रृंगार करके पुरुष देवी की शक्ति का प्रतीक बनते हैं. माना जाता है कि देवी भद्रकाली अत्यंत शक्तिशाली हैं और पुरुषों को उनकी शक्ति को महसूस करने के लिए 16 श्रृंगार करना होता है. कुछ विद्वानों का मानना है कि यह परंपरा लिंग समानता को दर्शाती है. यह दिखाता है कि देवी की पूजा करने के लिए पुरुषों और महिलाओं दोनों को समान अधिकार है.


इसके अलावा इस परंपरा के पीछे कई पौराणिक कथाएं भी जुड़ी हुई हैं. एक कथा के अनुसार, एक बार भद्रकाली ने एक राक्षस का वध किया था. इस युद्ध में देवी भद्रकाली का रूप इतना भयानक हो गया था कि देवता भी उन्हें पहचान नहीं पाए, तब देवी ने अपने रूप को बदलने के लिए 16 श्रृंगार किया था. बता दें यह परंपरा केरल की संस्कृति का एक खास हिस्सा है. यह परंपरा स्थानीय लोगों के लिए धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखती है.


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16 श्रृंगार क्या होता है?


16 श्रृंगार में पुरुषों को चेहरे पर अलग-अलग प्रकार के सौंदर्य प्रसाधन लगाए जाते हैं. इसमें सिंदूर, बिंदी, काजल, आईलाइनर, लिपस्टिक आदि शामिल होते हैं. इसके अलावा इस प्रथा में पुरुषों को साड़ी पहनने और गहने पहनने होते हैं.


आज के समय में भी यह परंपरा जारी है. हालांकि, कुछ बदलाव भी आए हैं. पहले जहां केवल स्थानीय लोग ही इस परंपरा का पालन करते थे, वहीं अब दूर-दूर से लोग इस मंदिर में आकर 16 श्रृंगार करके देवी की पूजा करते हैं.


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