इस गांव में घर से भागे प्रेमी जोड़े लेते हैं शरण, रहना खाना सब फ्री
दुनियाभर में प्रेम को लेकर बहुत कुछ लिखा गया है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि हिमाचल प्रदेश में एक ऐसा गांव है, जहां पर प्रेमी जोड़े घर से भागकर आकर शरण लेते हैं. जानिए इसके पीछे की वजह क्या है.
दुनियाभर में प्रेम को लेकर हर तरह की भाषा और साहित्य में बहुत कुछ लिखा गया है. लैला-मजनू और रोमियो-जूलियट जैसे कई ऐसे नाम हैं, जिनका नाम प्रेम में अमर है. लेकिन आज हम आपको भारत के एक ऐसे गांव के बारे में बताने वाले हैं, जहां पर देशभर से भागे हुए प्रेमी जोड़े पहुंचते हैं. जी हां, असल में इस गांव के लोग प्रेमी जोड़ों को पनाह देते हैं. आज हम आपको इसके पीछे की वजह बताएंगे.
प्रेम
प्रेम तो प्रेम है. हालांकि भारत में प्रेम विवाह की अवधारणा को अब तक पूरी तरह से स्वीकारिता नहीं मिली है. इतना ही नहीं कई लोग आज भी इसे बुरा मानते हैं. भारत में खासकर अंतरजातीय दूसरे धर्मों के शादी को लेकर काफी बहस होती है. ऐसे शादियों को कई बार सामाजिक प्रतिबंधों का सामना भी करना पड़ता है.
भागकर प्रेम विवाह
दुनियाभर के कई देशों में प्रेम विवाह आम बात हो चुकी है. लेकिन भारत में अभी भी प्रेम विवाह को पूरे तरीके से स्वीकृति नहीं मिली है. हालांकि भारत महानगरों में प्रेम विवाह का चलन शुरू हो चुका है. लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि जब घर वाले नहीं मानते हैं, तो एक दूसरे से प्रेम करने वाले घर से भागकर शादी करते हैं. लेकिन घर से भागने के समय उन्हें सुरक्षित जगह चाहिए होती है. लेकिन आज हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताने वाले हैं, जहां पर घर से भागे हुए प्रेमी जोड़े सुरक्षित रह सकते हैं.
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कहां पर है ये जगह
भारत में एक ऐसी जगह है, जहां प्रेमी जोड़े को सुरक्षा दी जाती है. यह जगह हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में स्थित शंगचुल महादेव मंदिर है. इस मंदिर में देशभर से प्रेमी जोड़े भागकर आते हैं. उन्हें यहां रहने और खाने के लिए दिया जाता है. इस मंदिर में प्रेमी जोड़े को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाता है. वहीं घर से भागे हुए युवक-युवतियों के लिए यह सबसे सुरक्षित जगह मानी जाती है. बता दें कि जो भी प्रेमी जोड़ा घर से भागकर इस मंदिर में शरण लेता है, उसकी यहां देखभाल की जाती है.
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क्या है मान्यता
इस गांव के लोगों का मानना है कि अगर उन्होंने प्रेमी जोड़े को आश्रय नहीं दिया, तो भगवान नाराज हो जाएंगे. मान्यता के मुताबिक पांडव इस गांव में शरण लेने आए थे. तब लोगों ने उन्हें इस मंदिर में छिपा दिया था. उस दौरान जब कौरव यहां आए तो स्वयं शंगचुला महादेव ने उन्हें गांव में आने से रोका था. उन्होंने कहा था कि जो भी उनकी सुरक्षा में आएगा, वह उनकी रक्षा करेंगे.
बता दें कि इसी मान्यता के आधार पर आज भी यहां शरण लेने वाले लोगों की रक्षा की जाती है. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है. यहां हर प्रेमी जोड़े को भोजन और आवास की व्यवस्था की जाती है. इतना ही नहीं इस गांव में पुलिस का प्रवेश बंद है. वहीं गांव में कोई भी हथियार लेकर जाना भी प्रतिबंधित है.
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