पुणे पोर्श कार एक्सीडेंट केस के आरोपी नाबालिग को जमानत मिल चुकी है. अदालत ने मंगलवार 25 जून को आरोपी नाबालिग की जमानत याचिका मंजूर कर ली है. साथ ही उसे बाल सुधार गृह से तुंरत रिहा करने का भी आदेश दे दिया गया. इस याचिका को मंजूर करते हुए अदालत ने कहा कि हमें आरोपी के साथ वैसे ही पेश आना होगा, जैसे हम कानून का उल्लंघन करने वाले किसी और बच्चे के साथ पेश आते हैं. फिर चाहे अपराध कितना भी गंभीर क्यों ना हो. ऐसे में सवाल ये उठता है कि इतने गंभीर मामले में भी किसी नाबालिग आरोपी को जमानत मिल सकती है तो फिर वो कौन से मामले हैं जहां नाबालिग को तुरंत जमानत नहीं मिल सकती?


किन मामलों में नाबालिग को तुरंत नहीं मिलती जमानत?


इलाहबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक केस की सुनवाई करते हुए कहा कि नाबालिग को केवल तीन परिस्थितियों में जमानत देने से इन्कार किया जा सकता है. पहला यदि रिहाई से उसके किसी अपराधी के साथ संबंध होने की आशंका है, दूसरा उसे नैतिक, शारीरिक या मनोवैज्ञानिक खतरे में डालने की आशंका है और तीसरा ये कि उसकी रिहाई न्याय के उद्देश्यों को विफल करेगी.


किन मामलों में पुलिस नाबालिग को नहीं कर सकती गिरफ्तार?


किशोर न्याय बालकों की देखरेख और संरक्षण नियम 2007 के नियम 11 (11) में साफ है कि सात साल तक अपराध वाले मामलों में पुलिस किसी भी नाबालिग के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज नहीं करेगी और न ही उसे गिरफ्तार करेगी. हालांकि पुलिस को हत्या या दुष्कर्म जैसे मामलों में रिपोर्ट दर्ज करने का अधिकार है. ऐसे मामलों में पुलिस नाबालिग को लॉकअप या जेल भेजने के बजाय उसे सीधे किशोर न्याय बोर्ड में ही पेश करेगी.


पुणे पोर्श कार केस में हुई इतनी गिरफ्तारी


पुणे पोर्श कार की टक्कर से दो लोगों की मौत हो गई. इससे लोगों में काफी गुस्सा था, दरअसल गुस्सा इसलिए भी था क्योंकि एक नाबालिग ने शराब की नशे में इस घटना को अंजाम दिया था. मामले में कोर्ट ने नाबालिग से एक बड़े आरोपियों जैसा बर्ताव करने से इंकार कर दिया है और कहा है कि नाबालिग के साथ बड़े आरोपी जैसा बर्ताव नहीं किया जा सकता. हालांकि इस मामले में नाबालिग की मां को 1 मई, पिता को 21 मई, दादा को 25 मई को गिरफ्तार कर लिया गया था. इसके अलावा नाबाालिग जिस पब से शराब पीकर निकला था उस पब के मालिक-मैजेनर और स्टाफ को शुरुआत में ही गिरफ्तार कर लिया गया था.


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