केरल के कांग्रेस प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और कन्नूर से सांसद के. सुधारकरन के आधिकारिक आवास पर काले जादू की सामग्री मिलने का एक कथित वीडियो सोशल मीडिया पर खासा वायरल हो रहा है. इस वीडियो में ये देखा जा सकता है कि कुछ लोग सांसद के आवास में दफ्न की गई काले जादू की वस्तुओं को निकाल रहे हैं.


इस वीडियो के चलते के सुधाकरन की मुश्किलें बढ़ गई हैं. वहीं इस मुद्दे पर के. सुधाकरन का कहना है कि ये वीडियो पुराना है. बता दें भारत में काला जादू के कई मामले सामने आते रहते हैं. कई बार काला जादू के चलते कई लोगों को अपनी जान तक गंवानी पड़ गई है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि हमारे देश में काला जादू के लिए किन-किन प्रदेशों में क्या कानून है.


देश के 8 राज्यों में है काला जादू के लिए कानून


बता दें कि 1999 के बाद से देश के 8 राज्यों ने अंधविश्वास और जादू-टोने से संबंधित मामलों से निपटने के लिए कानून बनाए हैं. वहीं सभी 8 राज्यों में अलग-अलग सजा का प्रावधान किया गया है. खास बात ये है कि इन राज्यों के कानून में काला जादू या अंधविश्वास का मतलब परिभाषित नहीं किया गया है


बिहार- देश का पहला राज्य बिहार है, जिसने 1999 में महिलाओं को डायन घोषित किए जाने और उन्हें प्रताड़ित किए जाने के खिलाफ कानून बनाया था. बिहार में इसे प्रिवेंशन ऑफ विच (डायन) प्रैक्टिस कानून, 1999 के नाम से जाना जाता है. इस कानून के अनुसार, डायन का मतलब ऐसी महिला से है, जो अपनी आंखों, मंत्रों और काला जादू के इस्तेमाल से किसी व्यक्ति को नुकसान पहुंचाने की शक्ति अपने पास रखती है


कर्नाटक- कर्नाटक में भी अंधविश्वास विरोधी कानून लागू है. बता दें यहां साल 2020 में ये कानून लाया गया था. कानून कुप्रथाओं के दर्जनों अभ्यासों पर प्रतिबंध लगाता है


महाराष्ट्र- महाराष्ट्र में एंटी सुपरस्टीशन एंड ब्लैक मैजिक एक्ट 2013 लागू किया गया था. बता दें राज्य में नरबलि और काला जादू की कई घटनाओं को देखते हुए इसे लागू किया गया था


झारखंड- झारखंड में भी ऐसा ही एक कानून बनाया गया है. 2021 में राज्य के गुमला के बुरुहातु-अमटोली पहाड़ में एक परिवार के पांच लोगों की हत्या कर दी गई थी. इसके बाद वहां की ग्राम परिषद ने कथित तौर पर इन लोगों को चुड़ैल घोषित कर उन्हें मौत की सजा सुना दी थी. जिसके चलते झारखंड के हाई कोर्ट ने मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर मामले में स्वत: ही संज्ञान लिया था. मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने 18 मार्च 2021 के अपने एक आदेश में कहा था कि प्रिवेंशन ऑफ विच (डायन) प्रैक्टिस कानून, 1999 को झारखंड ने अपनाया, लेकिन इसे लेकर ठोस कदम उठाने में कोताही बरती गई है.


राजस्थान- देश के  राज्य राजस्थान में प्रिवेशन ऑफ विच हंटिंग एक्ट 2015 लागू है. कुछ मामलों में राजस्थान के इस कानून के तहत कठोर सजा का प्रावधान किया गया है. इस कानून के तहत उस इलाके के लोगों पर भी जुर्माना लग सकता है, जहां इस कानून का उल्लंघन किया गया हो.


ओडिशा- ओडिशा में प्रिवेंशन ऑफ विच हंटिंग एक्ट 2013 लागू किया गया है. बता दें कि ये कानून महिलाओं को डायन या चुड़ैल घोषित करने और उन पर अत्याचार के खिलाफ लागू किया जाता है. इस कानून के तहत कम से कम एक साल और अधिकतम 3 साल की कैद की सजा का प्रावधान किया गया है.


छत्तीसगढ़- छत्तीसगढ़ में टोनही प्रताड़ना निवारण अधिनियम 2005 लागू है. ये कानून किसी भी पुरुष या महिला को टोनही घोषित करने के खिलाफ लागू किया गया है. बता दें कि टोनही का मतलब ऐसे व्यक्ति से है, जो काला जादू और अपनी बुरी नजर आदि से किसी इंसान या जानवर को नुकसान पहुंचा सकता है. इस कानून के अंतर्गत ओझा के रूप में झाड़-फूंक, टोटका और तंत्रमंत्र आदि का अभ्यास करने पर प्रतिबंध लगाया गया है. इस कानून के मुताबिक, यदि कोई व्यक्ति ऐसा करता है तो उसे अधिकतम 5 साल कैद और जुर्माने की सजा का प्रावधान है.


असम- असम में भी अंधविश्वास के खिलाफ कानून लागू किया गया है. असम का विच हंटिंग (प्रोहिबिशन, प्रिवेंशन, प्रोटेक्शन) एक्ट 2015 यातनाओं के विभिन्न प्रकार पर पाबंदी लगाता है, जिसमें पत्थर मारना, लटका देना, चाकू भोंकना, घसीटना, सार्वजनिक पिटाई करना, जलाना, बालों को काट देना या जलाना, जबरन मुंडन करा देना, नाक या शरीर का अन्य कोई अंग भंग करना, दांत तोड़ देना, चेहरा काला करना, कोड़े लगाना, किसी गर्म चीज से या पैने हथियार से शरीर पर निशान बना देना आदि अंधविश्वास की गतिविधियां शामिल हैं. यदि कोई व्यक्ति ऐसा करता पाया जाता है तो उसे कानून के तहत सजा होगी.                                                                        


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