14 अगस्त 1947 की आधी रात को संसद के सेंट्रल हॉल में देश के तमाम दिग्गजों की भीड़ एकजुट थी. भारत आजादी से बस चंद मिनटों की दूरी पर था. ठीक 11:55 पर पंडित जवाहर लाल नेहरू खड़े हुए और उन्होंने अपना भाषण शुरू किया. उनके भाषण के अंत के कुछ ही सेकेंड बाद घड़ी में सुइयां 12 पर पहुंच चुकी थीं और सेंट्रल हॉल में आजादी का शंखनाद हो रहा था. वहां मौजूद सभी की आंखों में आंसू थे और लोग एक-दूसरे के गले लगकर बधाइयां दे रहे थे.


आजादी के ठीक बाद गाए गए ये गीत


बधाइयों का दौर जारी ही था कि उसी के बीच एक महिला खड़ी हुईं. यह वही महिला थीं, जो बाद में 60 के दशक में उत्तर प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं. दरअसल, हम बात कर रहे हैं सुचेता कृपलानी की. सुचेता कृपलानी खड़ी हुईं और उन्होंने पहले अल्लामा इकबाल का गीत सारे जहां से अच्छा और फिर बंकिम चंद्र चटर्जी का वंदे मातरम गाया. बाद में यही गीत भारत का राष्ट्रीय गीत बना.


कौन थीं सुचेता कृपलानी?


सुचेता कृपलानी भारत के स्वतंत्रता संग्राम का प्रमुख महिला चेहरा थीं. इसके अलावा वह देश की पहली महिला मुख्यमंत्री भी थीं. उनका जन्म 25 जून 1908 को हरियाणा में हुआ था. उन्होंने महात्मा गांधी के नेतृत्व में स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई थी. शिक्षा की बात करें तो सुचेता कृपलानी ने लाहौर और दिल्ली में अपनी शिक्षा पूरी की.


स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका की बात करें तो सुचेता कृपलानी ने महात्मा गांधी के साथ मिलकर भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया और कई बार जेल गईं. वह कांग्रेस पार्टी की बड़ी महिला नेता थीं और उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा दिया था. स्वतंत्रता के बाद सुचेता कृपलानी भारत की संविधान सभा की सदस्य भी बनीं. साल 1963 में सुचेता कृपलानी उत्तर प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं, जिससे वह स्वतंत्र भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री हो गईं. 1 दिसंबर 1974 को सुचेता कृपलानी का निधन हो गया था.


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