Independence Day 2024: संयुक्त भारत को आजाद करान की पहल 1857 से ही शुरू हो गई थी. जब से भारत को आजाद कराने के सपने देखे गए थे तभी से सभी की ख्वाहिश संयुक्त भारत की आजादी थी. कई स्वतंत्रता सेनानियों ने देश का आजादी के लिए लड़ाईयां लड़ी थीं. तो वहीं सेनानी ये चाहते थे कि देश संयुक्त रूप आजाद हो, लेकिन देश को ये नसीब नहीं हो सका. जब देश आजाद हुआ उससे पहले वो दो हिस्सों में बंट गया. ऐसे में चलिए जानते हैं कि सबसे पहले देश के बंटवारे की बात किसने की थी.


किसने की थी सबसे पहले बंटवारे की बात?


जिस संयुक्त राष्ट्र भारत को अंग्रेजों की ज्यादतियों से मुक्त कराने के लिए लड़ाइयां लड़ी गईं, बलिदान दिए गए, अनगिनत कुर्बानियां दी गईं. उसी संयुक्त भारत के आजाद होने का जब समय आया तो सबसे पहले मोहम्मद अली जिन्ना ने एक ऐसी मांग कर डाली जिसने संयुक्त भारत की नींव को हिलाकर रख दिया.


जिन्ना ने संयुक्त भारत के मुसलमानों के लिए एक अलग देश की मांग कर देश के विभाजन की पहल कर दी थी. एक अलग देश बनाने की मांग करने का साफ मतलब था देश का विभाजन और इसी के साथ एक खूनी संघर्ष को जन्म देना. जिन्ना की इस मांग से पहले किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि भारत को आजादी तो मिलेगी लेकिन देश को इसकी भारी कीमत चुकानी होगी


किसकी देन था देश का विभाजन


देश का विभाजन का विचार ब्रिटिश सरकार की ही देन थी. साल 1857 के विद्रोह में हिंदू-मुस्लिम एकता ने ब्रिटिश सरकार को ये सोचने पर मजबूर कर दिया था कि यदि संयुक्त भारत के लोग इसी तरह उनके खिलाफ विद्रोह करते रहे तो भारत पर उनकी हुकूमत कमज़ोर पड़ जाएगी. यहीं से शुरू हुई ब्रिटिश सरकार की डिवाइड एंड रूल पॉलिसी. 1857 के विद्रोह के बाद इंडियन नेशनल कांग्रेस (INC) की स्थापना हुई.


आगे चलकर इंडियन नेशनल कांग्रेस ने मांग रखी कि देश में जो भी पढ़े-लिखे भारतीय हों उन्हें सरकार में ज्यादा से ज्यादा भागीदारी दी जाए. जल्द ही डफरिन को इस बात का एहसास हुआ कि INC की गतिविधियां ब्रिटिश सरकार के लिए खतरा हैं. डफरिन ने INC को इस तरह के कामों के लिए रोका लेकिन जब INC के इस तरह के काम नहीं रुके तो डफरिन ने उन्हें रोकने के लिए कई हथकंडे अपनाए. जिसका सबसे ज्यादा असर तब हुआ जब डफरिन ने अपने कुछ खास वफादार लोगों की मदद ली. इनमें से एक थे सय्यद अहमद खान, जिन्होंने टू नेशन थ्योरी को बनाया और इस तरह देश दो हिस्सों में बट गया. 


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