भारत में साल 2011 में जनगणना हुई थी, जिसमें हमारे देश की जनसंख्या 125.76 करोड़ बताई गई थी. वहीं आज के समय में हमारे देश की जनसंख्या 142 करोड़ बताई जाती है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि जब 14 साल हो चुके हैं तो किस आधार पर ये जनगणना के आंकड़े दिए जाते हैं. चलिए जाान लेते हैं.
14 साल पहले हुई थी जनगणना
2011 में हुई आखिरी जनगणना को 14 साल से ज़्यादा समय हो चुका है. सरकारी एजेंसियां 2011 की जनगणना के आंकड़ों के आधार पर ही सारी योजनाएं बना रही हैं. समस्या यह है कि सरकारी योजना या कार्यक्रम के तहत संसाधनों का आवंटन जनगणना के आधार पर होता है, लेकिन वहीं जब भी देश की जनगणना की बात आती है तो हमारे देश की आबादी 142 करोड़ आंकी जाती है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर ये जनगणना किस आधार पर बताई जाती है?
ऐसे आंकी जाती है 142 करोड़ आबादी
इनसाइट्स ऑफ यूथ इन इंडिया 2022 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 1991 में ये अनुमान लगाया गया था कि देश की जनसंख्या 2016 में 6.8 प्रतिशत बढ़ जाएगी, वहीं इसी रिपोर्ट में ये भी अनुमान लगाया गया था कि साल 2036 तक देश की जनसंख्या में 14.9 प्रतिशत की वृद्धि हो जाएगी. इस हिसाब से ये अनुमान लगाया जाता है कि 2011 के मुकाबले देश की जनसंख्या में कितनी वृद्धि आंकी गई है और इसी हिसाब से देश की जनसंख्या 142 करोड़ आंकी जाती है.
इसके अलावा इस रिपोर्ट में ये भी अनुमान लगाया गया था कि देश की जनसंख्या में साल 1991 में युवा की जनसंख्या 26.6 प्रतिशत बढ़ेगी, वहीं ये ग्रोथ साल 2016 तक 27.9 प्रतिशत तक बढ़ेगी, वहीं 2036 तक देश में युवाओं की संख्या में कमी आने लगेगी और ये 22.7 प्रतिशत पर आ जाएगी. इसका साफ मतलब ये है कि 2036 तक हमारा देश बूढ़ा होने लगेगा, यानी फिलहाल भारत में बड़ी संख्या में यूथ है, लेकिन एक समय ऐसा होगा जब यही यूथ बूढ़ा होगा और हमारे देश में सबसे ज्यादा संख्या बूढ़े लोगों की होगी. फिलहाल इस समस्या का सामना चाइना और जापान जैसे देश कर रहे हैं.
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