(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
India China Clash: क्या होती है फ्लैग मीटिंग, जो भारत-चीन सैनिकों के बीच हुई झड़प के बाद की गई?
फ्लैग मीटिंग अंतरराष्ट्रीय सीमा पर दो देशों के बीच होने वाली एक रूटीन मीटिंग है. हालांकि, कई बार यह मीटिंग तब भी होती है जब अंतर्राष्ट्रीय सीमा साझा कर रहे दो देशों के सैनिकों के बीच क्लैश होता है.
India China Flag Meeting: अरुणाचल प्रदेश के तवांग के नजदीक भारत और चीन के सैनिकों के बीच 9 दिसंबर 2022 को झड़प हुई. इस झड़प में दोनों देशों के सैनिक घायल हुए. सूत्रों के मुताबिक दोनों देशों के 30 से ज्यादा सैनिक इस झड़प में घायल हुए हैं. हालांकि, अब शांति के लिए दोनों देशों के सैनिकों के बीच फ्लैग मीटिंग हुई है. फ्लैग मीटिंग का जिक्र आपने कई बार सुना होगा, खासतौर से जब दो देशों के सैनिक आमने-सामने होते हैं. गलवान में भी जब झड़प हुई थी, उस दौरान भी आपने फ्लैग मीटिंग शब्द को कई बार सुना था और अक्सर जब भारत पाकिस्तान के सैनिक आमने-सामने होते हैं तब भी यह शब्द आपको मीडिया में सुनाई दे जाता है. आज हम आपको बताएंगे कि आखिर ये फ्लैग मीटिंग होती क्या है और इसे कैसे कराया जाता है.
क्या होती है फ्लैग मीटिंग
फ्लैग मीटिंग अंतरराष्ट्रीय सीमा पर दो देशों के बीच होने वाली एक रूटीन मीटिंग होती है. हालांकि, कई बार यह मीटिंग तब भी होती है जब अंतर्राष्ट्रीय सीमा साझा कर रहे दो देशों के सैनिकों के बीच क्लैश होता है. उस वक्त यह मीटिंग तनाव को शांत करने के लिए किया जाता है. भारत और चीन के सैनिकों के बीच 9 दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग में झड़प हुई. जिसके बाद दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों की एक फ्लैग मीटिंग हुई. इसे फ्लैग मीटिंग इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इस मीटिंग को शुरू करने के लिए सबसे पहले दोनों देशों के सैनिक हाथ में अपने देश का झंडा लिए हुए सीमा पर एक दूसरे को आमंत्रित करते हैं. उसके बाद 2 देशों की सीमा के ठीक बीच बैठकर सैन्य अधिकारियों द्वारा मीटिंग की जाती है.
तवांग क्यों चाहता है चीन
समुद्र तल से 10,000 फीट की ऊंचाई पर बसा तवांग चीन के लिए एक महत्वाकांक्षी मुद्दा है. वह इसे हासिल करने की कोशिश दशकों से कर रहा है. 1962 में जब भारत चीन का युद्ध हुआ उस वक्त भी चीन ने तवांग को हासिल करने के लिए पूरी कोशिश की. कहते हैं कि इस युद्ध में भारत के 800 जवान शहीद हुए और 1000 जवानों को चीन ने बंदी बना लिया था. लेकिन इसके बावजूद भी वह तवांग को हासिल नहीं कर पाया. तिब्बती धर्मगुरु जब पहली बार भारत की शरण में आए तो वह सबसे पहले तवांग ही पहुंचे थे.
चीन के 300 सैनिक पूरी तैयारी से आए थे
तवांग में भारतीय सैनिकों पर हमला करने वाले चीनी सैनिक 300 की तादाद में थे. न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक इस झड़प में चीनी सैनिक भी भारी मात्रा में घायल हुए हैं. यहां तक कि उनकी संख्या भारतीय सैनिकों से ज्यादा है.
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