बाघ भारत का राष्ट्रीय पशु है. एक समय तक इनकी लागतार कम होती संख्या एक बड़ी चिंता का विषय थी, लेकिन भारत में साल 2018 और 2022 के बीच बाघों की आबादी में 23.5 फीसदी की वृद्धि देखने को मिली है. जंगल में अब इन बड़ी बिल्लियों की प्रजाति की संख्या 3,682 हो गई है. यह बाघों का 75% हिस्सा है और शुरू में अनुमानित 3,167 से अधिक है. अप्रैल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3,167 बाघों का अंतरिम अनुमान जारी किया था. साल 2006 में अपने देश में बाघों की संख्या 1,411 थी, जोकि साल 2018 में बढ़कर 2,197 हो गई.


किस राज्य में सबसे ज्यादा?


इस वृद्धि के पीछे विशेषज्ञों का कहना है कि यह देश के 20 साल पुराने विज्ञान आधारित बाघ संरक्षण कार्यक्रम की सफलता को दर्शाती है. लगभग 80% बाघ (2,885) अब 18 राज्यों में से आठ में रहते हैं, जिनमें मध्य प्रदेश, कर्नाटक, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और असम शामिल हैं. मध्य प्रदेश में बाघों की सबसे अधिक संख्या 785 है, इसके बाद नंबर आता है कर्नाटक का, जहां 563 बाघ हैं और महाराष्ट्र में 444 हैं.


सिकुड़ रहा है जानवरों का आवास


रिपोर्ट के अनुसार, शनिवार को रिपोर्ट किए गए राज्य-वार अनुमान के अनुसार, मध्य भारतीय और पश्चिमी घाट परिदृश्य ने कुल संख्या में 2,526 बाघों का योगदान दिया है, जिससे वे दुनिया में सबसे घने बाघ क्षेत्र बन गए हैं. हालांकि, कुछ क्षेत्रों में चिंताजनक रुझान भी देखा गया है. मिजोरम, नागालैंड, झारखंड, गोवा, छत्तीसगढ़ और अरुणाचल प्रदेश जैसे कुछ राज्यों में बाघों की आबादी कम होने की सूचना मिली है. कुछ बाघ अभयारण्यों सहित कई क्षेत्रों में स्थानीय बाघों की आबादी विलुप्त हो गई है. अवैध शिकार और मानव-वन्यजीव संघर्ष भी बढ़ रहा है, क्योंकि वन क्षेत्र में कमी आने की वजह से जंगली जानवरों के आवास भी सिकुड़ रहे हैं.


75 फीसदी आबादी भारत में


राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) जानवरों के एक नए बैच को संतृप्त भंडारों से उन क्षेत्रों में स्थानांतरित करके स्थानीय स्तर पर बाघों के आवास का विस्तार कर रहा है जहां वे विलुप्त हो जाते हैं. दुनिया की 75 प्रतिशत बाघ आबादी के साथ, भारत के 18 राज्यों में 53 बाघ अभयारण्य हैं, जो 75,796.83 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले हैं और यहां दुनिया की 75% बाघ आबादी रहती है. बाघों की तीन-चौथाई से अधिक आबादी संरक्षित क्षेत्रों में पाई जाती है, लेकिन पूरी तरह से संरक्षित अभ्यारण्यों के बाहर उच्च जोखिम रहता है. NTCA के आंकड़ों के अनुसार, पिछले 10 सालों में दर्ज की गई कम से कम 1,062 बाघों की मौतों में से 35.2 प्रतिशत संरक्षित क्षेत्रों के बाहर थीं और अतिरिक्त 11.5 प्रतिशत बरामदगी थीं. दरअसल, केंद्र सरकार के अनुसार, साल 2018 में हुए सर्वेक्षण में बाघों की आबादी 1,400 से दोगुनी होकर 2,900 हो गई.


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