भारत एक ऐसा देश हैं जहां ऐसे ऐसे अजूबे पड़े हैं कि दुनिया उन्हें देख कर हैरान हो जाती है. आगरा का ताजमहल ही ले लीजिए, जो देखता है तो सोचता है कि आखिर इतनी सुंदर इमारत कोई उस वक्त कैसे बना सकता है जब तकनीक के नाम पर इंसान शून्य थे. हालांकि, आज हम बात ताज महल की नहीं बल्कि दुनिया के सबसे बड़े दरवाजे की करने वाले हैं. ये दरवाजा भी उस वक्त बनाया गया था, जब इंसानों के पास ना बड़े बड़े क्रेन थे और ना ही हाई टेक्नोलॉजी वाली मशीनें. लेकिन इसके बाद भी भारत में दुनिया का सबसे बड़ा दरवाजा बना दिया गया.


कौन सा है दुनिया का सबसे बड़ा दरवाजा?


दुनिया के सबसे बड़े दरवाजे का नाम है, बुलंद दरवाजा. ये उत्तर प्रदेश के फतेहपुर सीकरी में है. इस दरवाजे की ऊंचाई 53.63 मीटर है. यानी अगर इसे फुट में नापें तो ये 173 फुट से ज्यादा का हो जाएगा. वहीं इसकी मोटाई की बात करें तो ये 35 मीटर चौड़ा है. लाल बलुआ पत्थर से बना ये दरवाजा आज भी सही सलामत है. इस पर संगमरमर के पत्थर से सजावट की गई है. इस पूरे दरवाजे पर गुम्बद और मीनारें बनवाई गई हैं. सिर्फ इस दरवाजे को देखने हर साल लाखों की भीड़ उत्तर प्रदेश के फतेहपुर सीकरी पहुंचती है.


किसने बनवाया था ये दरवाजा?


इतिहासकारों के मुताबिक, इस दरवाजे का निर्माण मुगल शासक अकबर ने साल 1602 में करवाया था. कहा जाता है कि जब मुगल शासक अकबर ने गुजरात पर विजय प्राप्त की थी तब उस जीत की स्मृति में उसने इस दरवाजे का निर्माण करवाया था. इस दरवाजे के पूर्वी तोरण पर आज भी फारसी भाषा में लेख अंकित हैं, जो 1601 में अकबर के दक्कन विजय की कहानी बताते हैं. कहते हैं कि इस दरवाजे को बानने के पीछे अकबर का मकसद समाज में एकता की भावना पहुंचाना था. दरअसल, इस दरवाजे एक एक तोरण पर ईसा मसीह से संबंधित बाइबल की कुछ पंक्तियां भी अंकित हैं. इस दरवाजे को लेकर कहा जाता है कि इसे बनने में कुल 12 वर्ष लग गए थे. आपको बता दें 1571 ई. से 1585 ई. तक फतेहपुर सिकरी मुग़ल साम्राज्य की राजधानी थी.


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