ISRO: एक समय था जब अंतरिक्ष विज्ञान के मामले में भारत को अग्रणी देश नहीं माना जाता था. लेकिन 15 अगस्त 1969 में इंडियन रिसर्च स्पेस आर्गेनाईजेशन (इसरो) की स्थापना के बाद से यह तस्वीर बदल गई. साल 1963 में भारत ने अपना पहला रॉकेट अंतरिक्ष में लॉन्च किया. और उसके बाद देखते ही देखते इसरो ने कामयाबी की कई सीढ़ियां चढ़ी. 


इंडियन रिसर्च स्पेस आर्गेनाईजेशन यानी इसरो इस समय दुनिया की टॉप फाइव स्पेस एजेंसीज में आता है. पिछले कुछ सालों में चांद से लेकर मंगल ग्रह तक इसरो ने अपनी पहुंच बनाई है. न सिर्फ भारत की बल्कि दूसरे भी अन्य देशों की सैटेलाइट इसरो द्वारा लॉन्च किए गए हैं. जिससे भारत को खूब आर्थिक फायदा भी हुआ है.  कैसे दूसरे देशों की सेटेलाइट से भारत कमा रहा है पैसे चलिए जानते हैं. 


कमाए करीब 1500 करोड़ रुपए 


इसरो इस वक्त दुनिया की उभरती हुई स्पेस एजेंसी है. इस बात का अंदाजा ऐसे भी लगाया जा सकता है कि अमेरिका जैसे बड़े देश भी भारत से अपनी सैटेलाइट लॉन्च करवा रहे हैं. भारत ने न सिर्फ अमेरिका बल्कि कनाडा, अल्जीरिया, जापान, ब्रिटेन और सिंगापुर मिलाकर अब तक कुल 21 देश की सेटेलाइट लॉन्च की है. 


साल 2017 में भारत ने एक साथ 104 सैटेलाइट लॉन्च किए थे. जिनमें 96 अमेरिका के थे और बाकी इजराइल, यूएई, हॉलैंड और स्विट्जरलैंड जैसे देशों के सेटेलाइट थे. अब तक भारत कुल विदेशों की कुल 424 सैटेलाइट लॉन्च की हैं. सरकार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार सिर्फ विदेशी सेटेलाइट के लॉन्च से ही भारत ने करीब 1500 करोड़ रुपए की कमाई की है 


इसरो पर क्यों है इतना भरोसा?


आज के समय में दूसरे देश इसरो पर खूब भरोसा कर रहे हैं. और अपनी महत्वपूर्ण सैटेलाइट इसरो से लांच करवा रहे हैं. दरअसल इसके पीछे सिर्फ भरोसा ही शामिल नहीं है. बल्कि क्वालिटी और कीमत भी है. जिन सैटेलाइट को लॉन्च करने के लिए दूसरे देश ज्यादा खर्च करते हैं.


तो वहीं इसरो इन्हीं सेटेलाइट को बेहद कम खर्चे में और सुरक्षित तरीके से लांच करता है. ऐसे में दूसरे देश इसरो की इस विशेषता का लाभ उठा रहे हैं और जिससे इसरो को मुनाफा हो रहा है. भारत के पास PSLV,GSLV दो बेहतरीन स्पेस लाॅचिंग व्हीकल हैं. जो कि काफी भरोसेमंद हैं. 


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