Israel Hamas War: इजरायल पर चरमपंथी संगठन हमास के हमले के बाद से ही युद्ध के हालात बने हुए हैं. गाजा पट्टी और इजरायल में लगातार बम धमाकों की आवाजें आ रही हैं और इन हमलों में अब तक सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है. हमास के लड़ाकों ने इजरायल में घुसकर जो कोहराम मचाया, उससे पूरी दुनिया हैरान है. वहीं इजरायल भी अब पूरे फिलिस्तीन पर आग बरसाने का काम कर रहा है, दोनों तरफ बच्चों से लेकर महिलाओं तक के शव बिखरे पड़े हैं. इसी बीच भारत सरकार ने अपने लोगों को निकालने के लिए ऑपरेशन अजय की शुरुआत की, जिसके तहत लोगों को भारत लाया जा रहा है. आज हम आपको बताएंगे कि वॉर जोन से कैसे अपने लोगों को सुरक्षित निकाला जाता है. 


ऑपरेशन अजय हुआ लॉन्च
सबसे पहले बात भारत के इजरायल में चलाए जा रहे ऑपरेशन की करते हैं. दरअसल युद्ध के हालात को देखते हुए भारत अपने नागरिकों को रेस्क्यू कर रहा है, इसके लिए ऑपरेशन अजय की शुरुआत की गई. इस ऑपरेशन के तहत पहली फ्लाइट 212 भारतीयों को लेकर लौट चुकी है. जिसके बाद बाकी के लोगों को भी सुरक्षित निकालने की कोशिश चल रही है. 


कैसे निकाले जाते हैं लोग?
अब उस सवाल पर आते हैं कि आखिर किसी युद्ध के हालात में तमाम देश अपने नागरिकों को कैसे रेस्क्यू कर लेते हैं? दरअसल इसके लिए उस देश की सरकार की तरफ से पूरी मदद दी जाती है, जहां युद्ध के हालात बने हुए हैं. मानवीय आधार पर ये सरकारें विदेशी नागरिकों को निकालने के लिए एक खास ह्यूमैनिटेरियन कॉरिडोर तैयार करते हैं. लोगों को पूरी सुरक्षा दी जाती है और एयरपोर्ट तक पहुंचाया जाता है, जिसके बाद वहां पहले से ही उनके देश का प्लेन मौजूद होता है, जिसमें बैठकर लोग अपने देश वापस लौटते हैं. ये पूरा काम वहां मौजूद एंबेसी देखती है. 


आमतौर पर ये भी देखा गया है कि युद्ध में शामिल दोनों पक्ष इस बात के लिए सहमत हो जाते हैं कि जब नागरिकों को बाहर निकाला जा रहा हो, तब कोई बड़ा हमला नहीं किया जाए. यानी युद्ध के हालात में भी विदेशी नागरिकों को सुरक्षित अपने वतन वापस लौटने का अधिकार दिया जाता है. 


तैयार होता है कंट्रोल रूम
अब अगर भारतीयों के वापस लौटने की बात करें तो ऐसे हालात में तमाम तरह की तैयारियां पहले से ही की जाती हैं. सबसे पहले तो एंबेसी कुछ नंबर जारी करती है, जिन पर संपर्क कर लोग अपनी लोकेशन बताते हैं. इसके अलावा लोगों को रजिस्ट्रेशन कराने के लिए भी कहा जाता है. एक कंट्रोल रूम तैयार होता है, जो 24 घंटे लोगों की मदद के लिए खुला होता है. इस पूरे मामले पर विदेश मंत्रालय की खास नजर होती है. 


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