कहा जाता है भूत-प्रेत जैसी कोई चीज नहीं होती, ये महज इंसान का वजम है, लेकिन दुनिया में कई ऐसी घटनाएं हैं जो लोगों को इस बारे में सोचने पर मजबूर कर देती हैं. आज हम आपको एक ऐसे ही रेलवे स्टेशन के बारे में बताने जा रहे हैं. इस रेलवे स्टेशन की इतनी कहानियां हैं कि आज भी ये बंजर पड़ा हुआ है. इस रेलवे स्टेशन पर हुई घटनाओं से लोग इस तरह डर गए थे कि रेलवे के कर्मचारियों ने भी यहां काम करने से मना कर दिया था. कहा जाता है कि यहां के स्टेशन मास्टर को कई बार चुड़ैल भी दिखी थी. तो चलिए आज पश्चिम बंगाल के इसी बेगुनकोदर रेलवे स्टेशन के बारे में जानते हैं.
जब स्टेशन मास्टर को दिखने लगी थी चुड़ैल
ये रेलवे स्टेशन हमेशा से ऐसा नहीं था. 1960 के समय में इस रेलवे स्टेशन पर खूब चहल पहल हुआ करती थी. यहां ट्रेन आती भी थी, रुकती भी थी और यहां से कई यात्री सफर के लिए आते-जाते भी थे, हालांकि ये सिलसिला बहुत दिनों तक नहीं चला. साल 1967 में एक दिन यहां के स्टेशन मास्टर ने चुड़ैल दिखने की बात कही, लोगों ने उसकी बात को उस समय मजाक में उड़ा दिया. लेकिन जब उस स्टेशन पर काम करने वाले कई लोगों ने इस बात का दावा किया तो मामला गंभीर हो गया.
ये बात उस रोज और बढ़ गई जब एक दिन स्टेशन मास्टर के पूरे परिवार की लाश संदिग्ध हालात में मिली. लोगों का दावा था कि इसके पीछे उसी चुड़ैल का हाथ है.
स्टेशन पर काम करने को तैयार नहीं था रेलवे स्टाफ
इस दिन के बाद बेगुनकोदर के सारे रेलवे स्टाफ ने वहां काम करने से मना कर दिया. कई महीनों तक रेलवे ने यहां स्टाफ रखने की कोशिश की, लेकिन कोई यहां काम नहीं करना चाहता था. ऐसे में यहां आने वाली ट्रेनों ने भी यहां रुकना बंद कर दिया. ये बात रेलवे मंत्रालय तक पहुंच चुकी थी, लिहाजा रेलवे मंत्रालय को ये स्टेशन बंद करने की घोषणाा करनी पड़ी. कहा जाता है जब भी कोई ट्रेन यहां से गुजरती थी तो लोको पायलट ट्रेन की स्पीड बढ़ा देते थे, वहीं यहां से गुजरने वाले यात्री भी काफी घबराते थे.
2009 में फिर खोल गया रेलवे स्टेशन
42 सालों तक ये स्टेशन बंद रहा, जिसे 90 के दशक में फिर खोले जाने की पेशकश हुई. फिर साल 2009 में तत्कालीन रेलवे मंत्री ममता बनर्जी ने दोबारा शुरू किया. फिलहाल यहां 10 ट्रेनें रुकती हैं, हालांकि यहां अब भी किसी रेलवे स्टाफ की ड्यूटी नहीं है, एक प्राइवेट फर्म इसे मैनेज करती है.
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