क्रिकेट वर्ल्ड कप में आज भारत का मुकाबला न्यूजीलैंड से है. बुधवार को होने वाला ये सेमीफाइनल मुकाबला किसी भी एक टीम की फाइनल में टिकट फाइनल करेगा. जहां एक ओर टीम रोहित शर्मा अपने विजयी रथ को आगे बढ़ाने के लिए मैदान में उतरेगी, वहीं ब्लैक जर्सी में न्यूजीलैंड के प्लेयर्स फाइनल में जगह बनाने की कोशिश करेंगे. वैसे इस बार ब्लैक जर्सी वाले ये प्लेयर्स काफी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं और सेमीफाइनल में आसानी से जगह बनाने में सफल रहे हैं.
आपने भी न्यूजीलैंड के कई मैच देखे होंगे और आपने उनका प्रदर्शन देखा होगा, लेकिन इसी बीच कभी आपने सोचा है कि आखिर न्यूजीलैंड के प्लेयर्स काले रंग की जर्सी ही क्यों पहनते हैं. इस वर्ल्ड कप में ही नहीं, काफी पहले से न्यूजीलैंड के खिलाड़ी काले रंग की जर्सी पहनते आ रहे हैं. तो जानते हैं कि आखिर न्यूजीलैंड के काली जर्सी पहनने के पीछे का क्या लॉजिक है. ये सवाल इसलिए भी अहम है, क्योंकि न्यूजीलैंड के फ्लैग में ब्लैक रंग भी नहीं है. तो जानते हैं इस ब्लैक जर्सी का कारण...
क्या है ब्लैक जर्सी का कारण?
न्यूजीलैंड के खिलाड़ी सिर्फ क्रिकेट में ही नहीं, बल्कि दूसरे खेलों में भी ब्लैक कलर की जर्सी ही पहनते हैं. ब्लैक जर्सी से न्यूजीलैंडर को पहचाना जा सकता है. बता दें कि साल 1892 में जब पहली बार न्यूजीलैंड रगबी फुटबॉल यूनियनव बनाई गई थी तो न्यूजीलैंड की काली वर्दी चुनी गई थी. ये फैसला सर्वसम्मिति से लिया गया था. कई रिपोर्ट में ये भी कहा जाता है कि उस वक्त काला रंग अन्य रंगों की तुलना में सस्ता था, जिस वजह से ब्लैक रंग चुना गया. इसके बाद स्पोर्ट्स में काले रंग को ही हमेशा पसंद किया गया और काले रंग की जर्सी को प्राथमिकता दी गई.
जब 1920 में न्यूजीलैंड पहली बार ओलंपिक में खेलने गया तो उस दौरान भी एथलीट्स ने काले रंग की ही जर्सी पहनी थी. उस दौरान काले रंग की जर्सी पहनने वाले एथलीट्स ने मेडल भी जीते और उसके बाद से ये कॉमन हो गए. पहले कुछ एथलीट ब्लैक टीशर्ट और व्हाइट शॉर्ट्स पहनते थे, लेकिन फिर पूरी काली जर्सी को अपनाया गया. इसी तरह आप देख रहे होंगे कि क्रिकेट में भी न्यूजीलैंड के खिलाड़ी काली जर्सी ही पहन रहे हैं.
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