हर जगह अधिकतर लोग ऐसे होते हैं, जिन्हें खाने से बहुत प्रेम होता है. इनमें कुछ लोग वेज फूड पसंद करते हैं और कुछ लोग नॉनवेज फूड पसंद करते हैं. इतना ही खाने के शौकीन लोग कई बार दूसरे शहर और देश तक घूमने सिर्फ खाने के लिए जाते है. लेकिन आज हम नॉनवेज प्रेमियों को बताएंगे कि भारत समेत पड़ोसी देश पाकिस्तान और बांग्लादेश में चिकन का क्या रेट है.
भारत
भारत के हरियाणा राज्य में सबसे ज्यादा मुर्गे का उत्पादन होता है. आंकड़ों के मुताबिक हरियाणा में 352 मैट्रिक टन पॉल्ट्री मीट यानी मुर्गे का उत्पादन होता है. इसके अलावा दूसरे नंबर पर पश्चिम बंगाल में 328 मैट्रिक टन पॉल्ट्री मीट यानी मुर्गे का उत्पादन होता है. वहीं उत्तर प्रदेश में तीसरे नंबर पर 270 मैट्रिक टन पॉल्ट्री मीट का उत्पादन होता है. चौथ नंबर पर तमिलनाडु में 226 और महाराष्ट्र में 144 पॉल्ट्री मैट्रिक टन मीट का उत्पादन हो रहा है. वहीं भारत में चिकन रेट टुडे पोर्टल के मुताबिक राजधानी दिल्ली में 140 रुपये किलो रेट है. स्किनलेस चिकन का रेट 180 रुपये किलो है. वहीं बोनलेस चिकन का रेट 220 रुपये किलो है.
पाकिस्तान
जानकारी के मुताबिक पाकिस्तान में हर साल 122 करोड़ किलो चिकन का प्रोडक्शन होता है. बता दें कि पाकिस्तान में चिकन खूब खाया जाता है. डाटा सेंटर पोर्टल के मुताबिक पाकिस्तान में चिकन का रेट प्रति किलो 750 पाकिस्तानी रुपये है. भारतीय मूल्य में इसकी कीमत 222.8 रुपये बनते हैं. वहीं पाकिस्तान में बोनलेस चिकन का रेट 1100 पाकिस्तानी रुपये है. भारतीय करेंसी में इसकी कीमत 326.78 रुपये बनते हैं. पाकिस्तान में स्किनलेस चिकन का रेट 780 पाकिस्तानी रुपये है. वहीं पाकिस्तान पोल्ट्री एसोसिएशन के मुताबिक वहां पर इस सेक्टर में 15 लाख से अधिक लोग काम करते हैं.
बांग्लादेश
बांग्लादेश में सालाना करीब 14.2 लाख टन चिकन का प्रोडक्शन होता है. सोबजी बाजार पोर्टल के मुताबिक बांग्लादेश में एक किलो ब्रॉयलर चिकन का रेट 295 बांग्लादेशी रुपये है. भारतीय मूल्य में इसकी कीमत 223.5 रुपये बनते हैं. वहीं बांग्लादेश में बोनलेस चिकन का रेट 599 बांग्लादेशी करेंसी है. भारतीय करेंसी में इसकी कीमत 450 रुपये बनते हैं. बांग्लादेश में स्किनलेस चिकन का रेट 349 बांग्लादेशी रुपये है. भारतीय करेंसी में इसकी कीमत 250 रुपये बनती है. यानी भारत में बांग्लादेश से चिकन का रेट सस्ता है.
ये भी पढ़ें: शराब की दुकानें बंद होने को ड्राई डे ही क्यों कहा जाता है, आखिर क्या है इसका मतलब