भारतीय वायु सेना हर साल 8 अक्तूबर को अपना स्थापना दिवस मनाती है. इस बार इंडियन एयरफोर्स अपना 92वां स्थापना दिवस मना रही है. साल 1932 में स्थापित भारतीय वायुसेना ने देश का सिर हमेशा गर्व से ऊंचा किया है. इस फोर्स के पायलट जब फाइटर जेट्स पर सवार होकर दुश्मन के इलाके में घुसते हैं तो जेट्स की इंजन से उनकी जमीन कांपने लगती है. चलिए आज आपको इस मौके पर बंटवारे का एक किस्सा सुनाते हैं जब भारत पाकिस्तान के बीच सैनिकों और विमानों का बंटवारा हुआ था.
पहले सैनिकों के बंटवारे के बारे में जानिए
'राइट्स ऑफ पैसेज' किताब के लेखक एचएम पटेल अपनी किताब में लिखते हैं कि 7 अप्रैल, 1947 को पार्टीशन काउंसिल के सदस्य लियाकत अली ने ब्रिटिश वायसरॉय माउंटबेटन को पत्र लिखकर सेना के बंटवारे की बात की. जिन्ना की मांग पर 4 जुलाई को माउंटबेटन ने कहा कि सेना के ट्रांसफर के लिए सभी नेता मान गए हैं. जब बंटवारे की बात आई तो उस वक्त ब्रिटिश इंडियन आर्मी 4 लाख से ज्यादा सैनिक थे. इनमें से 3 लाख 91 हजार आर्मी के जवान थे और 13 हजार एयरफोर्स के जवान. इसके अलावा 8,700 नेवी के थे.
बंटवारे के बाद 2 लाख 60 हजार जवान भारत को मिले और 1 लाख 31 हजार जवान पाकिस्तान के पास गए. वहीं 10 हजार एयरफोर्स के जवान भारत को मिले, जबकि तीन हजान पाकिस्तान की सेना में गए. 5,700 नेवी के जवान भारत के पास आए और तीन हजार जवान पाकिस्तान को मिले.
हथियारों का भी हुआ बंटवारा
सैनिको के अलावा भारत और पाकिस्तान में हथियारों का भी बंटवारा किया गया. रिपोर्ट्स के मुताबिक, उस वक्त सेना के पास कुल 1 लाख 65 हजार टन वजन के मिलिट्री इक्विमेंट थे. इनमें से भारत को 4 नाव, 12 माइनस्वीपर्स और 1 युद्धपोत मिला. जबकि, पाकिस्तान को 2 छोटी नावें और 4 माइनस्वीपर्स मिले.
अब बात आती है हवाई जहाजों के बंटवारे पर. इंडियन एयरफोर्स डॉट एनआईसी की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की आजादी के समय भारतीय वायु सेना के पास 900 विमान थे. इनमें कुछ लड़ाकू विमान और बमवर्षक शामिल थे. हालांकि, ये पाकिस्तान के साथ किस तरह से बांटे गए, इस पर कोई ठोस जानकारी मौजूद नहीं है. हालांकि, इंटरनेट पर मौजूद कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि इन जहाजों को 60-40 के रेश्यो में बांटा गया था. यानी 60 फीसदी भारत को दिए गए थे और 40 फीसदी विमान पाकिस्तान को दिए गए. ये बंटवारा दोनों देशों के क्षेत्रफल और आबादी के आधार पर हुआ था.
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