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गरीबों का नहीं करोड़पतियों का है ये गांव, हर घर में है बेशुमार दौलत

करोड़पति शहरों की तो हम अक्सर बात करते हैं, लेकिन क्या आप दुनिया के एक ऐसे गांव के बारे में जानते हैं जिसे करोड़पतियों का गांव कहा जाता है? चलिए आज हम आपको इस गांव के बारे में बताते हैं.

Crorepati Village: जब भी गांवों की बात होती है तो लोगों के मन में गरीबी और खेती का ख्याल आया है, लेकिन यदि हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताएं जहां न ही गरीबी की बात होती है और न ही यहां कोई गरीब है. जी हां, दुनिया में ऐसा एक ही गांव है जो भारत में स्थित है. इस गांव में 50 से ज्यादा करोड़पति हैं. यही वजह है कि इस गांव को भारत का करोड़पतियों का गांव कहते हैं. दरअसल हमहिवारे बाजार गांवकी बात कर रहे हैं. ये गांव भारत के महाराष्ट्र राज्य के अहमदनगर जिले में स्थित है. यहां के लोगों के बैंक के खातों में करोडो़ं रुपये हैं. चलिए आज इस गांव की रोचक कहानी जानते हैं.

कैसे करोड़पतियों का गांव बन गया हिवारे बाजार?

बता दें महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित हिवरे बाजार गांव सूखे के लिए सबसे संवेदनशील स्थानों में से एक हुआ करता था. एक समय ऐसा था जब ये क्षेत्र अत्यधिक लोन और सूखे के कारण फसल की बर्बादी से जूझ रहा था, जिसके चलते इस गांव के किसान आत्महत्या जैसे कदम तक उठा लेते थे.

इससे भी बदतर हालात तब हुए जब 1972 में वहां सूखा और गरीबी फैल गई थी. अधिकांश परिवार समुदाय के स्वामित्व वाली भूमि पर थे, लेकिन गांव में चल रहे सूखे ने उनके लिए भोजन उगाने या बेचने असंभव बना दिया. उस समय लगभग 90% लोगों ने बेहतर जिंदगी की तलाश में शहरी क्षेत्रों का रुख कर लिया.

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कैसे पलटी किस्मत?

साल 1988 तक इस गांव की स्थिति बदतर ही रही. फिर साल 1989 इस गांव के लिए किस्मत पलटने वाला साबित हुआ. 1989 में पोपटराव पवार को सर्वसम्मति से गांव के नेता के रूप में चुन लिया गया, जिन्हें स्थानीय/हिन्दी भाषा में सरपंच भी कहा जाता है. पवार ने सबसे पहले गांव में सभी अवैध शराब के कारोबार को बंद करके धूम्रपान और शराब पीने से जुड़े जोखिमों को खत्म करने पर ध्यान केंद्रित किया.

इसके बाद उन्होंने तम्बाकू और शराब के सेवन पर रोक लगा दी. अब इस गांव की खराब स्थिति का एक और बड़ा कारण पानी की कमी थी, जिसे पोपटराव पवार ने चतुराई से संभाला. उन्हें जल्द ही एहसास हुआ कि गांव की पानी की जरूरतों को हल करना होगा, क्योंकि हर साल बहुत कम मात्रा में बारिश होती है. पवार ने एक लोन लेकर गांव में वर्षा जल संग्रहण, वाटरशेड संरक्षण और प्रबंधन के लिए एक कार्यक्रम शुरू किया. ऐसे में लोगों की सहायता से उन्होंने कई जलमार्ग बनाए, जिनमें 32 पत्थर के बांध, 52 मिट्टी के बांध, चेक बांध और बारिश को रोकने के लिए रिसाव टैंक शामिल थे. उन्होंने ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने पर भी ध्यान केंद्रित किया और ग्रामीणों से पशुपालन और बारिश के पानी को एकत्र करने में निवेश करने का सहायता मांगी.

ऐसे सुधरे गांव के हालात

इस गांव को विकास उस समय शुरू हुआ जब वाटरशेड ने स्थानीय लोगों को सिंचाई और विभिन्न फसलों की कटाई में भी मदद की. इस छोटे से गांव में मौजूदा समय में लगभग 294 पानी के कुएं हैं, जबकि 1990 के दशक में इनकी संख्या 90 थी. कुछ ही सालों में इस गांव में खेती फिर से पूरे जोरों पर हो गई और स्थानीय लोगों के लिए राजस्व का मुख्य स्रोत बन गई. अब इस गांव में सभी लोग करोड़पति हैं और गांव को करोड़पतियों का गांव कहा जाता है.

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