दुनिया के अधिकांश देशो में आरोपियों को जेल की सजा सुनाई जाती है. क्योंकि माना जाता है कि किसी भी बड़े जुर्म की सजा कारावास है. हालांकि कुछ गंभीर अपराध की स्थितियों में आरोपियों को मौत की सजा भी सुनाई जाती है. लेकिन आज हम आपको जेल के अंदर मौजूद अंडा सेल के बारे में बताने वाले हैं. क्योंकि इस सेल में रहना ही अपने आप में एक उम्रकैद की सजा जैसे है. जानिए क्यों इस सेल को सबसे अलग और कठोर सजा के तौर पर माना जाता है.
क्या होती है अंडा सेल
जानकारी के मुताबिक किसी भी जेल का सबसे सुरक्षित हिस्सा अंडा सेल होता है. नाम की तरह ही इस सेल का आकार अंडे की तरह होता है, इसलिए इसे अंडा सेल कहा जाता है. बता दें कि इन सेल में आमतौर पर जेल में गंभीर अपराध में बंद कैदियों को रखा जाता है. इन कोठरियों में बिजली नहीं होती है, कैदियों को अंधेरे में ही रखा जाता है. सुविधाओं के नाम पर कैदियों को सोने के लिए केवल एक बिस्तर दिया जाता है. वहीं कोठरी के बाहर इलेक्ट्रिक फेंसिंग होती है. मुंबई की सबसे बड़ी आर्थर रोड जेल में इस तरह की नौ सेल हैं.
क्यों पड़ती है इस सेल की जरूरत
बता दें कि आधुनिक समाज में धीरे-धीरे फांसी की जगह जेलों में अनुशासनात्मक शक्ति ने ले ली है. एकांत कारावास की यातनापूर्ण प्रथा आधुनिक जेलों की एक प्रमुख विशेषता बनी हुई है. भारतीय जेलों में भी अंडा सेल एकांत कारावास का ही एक रूप है. कई लोग इसे क्रूर, अमानवीय, अपमानजनक और यातना के रूप में परिभाषित करते हैं. किसी कैदी को जेल के अंदर ही कड़ी सजा देने के लिए इस सेल का इस्तेमाल किया जाता है. इन सेल के अंदर खिड़कियां नहीं होती हैं.
क्या है धारा 73
आईपीसी की धारा 73 के मुताबिक किसी भी व्यक्ति को अगर छह माह से कम की सजा मिली है, तो उसे एकांत में 30 दिन से ज्यादा नहीं रखा जा सकता है. वहीं अगर सजा एक साल से कम है तो यह अवधि 60 दिन हो सकती है. यह नियम कैदी के अपराध पर निर्भर नहीं करते, बल्कि यह सब पर समान रूप से लागू होते हैं. वहीं धारा 74 के मुताबिक एकांत में कैद करके रखने का समय एक बार में 14 दिन से अधिक नहीं हो सकता है.
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