Indian Navy: भारतीय नौसेना की दृष्टि भविष्य पर है जहां अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी के साथ यह प्रगति कर रही है. नई पीढ़ी के कॉम्बेट मैनेजमेंट सिस्टम, सॉफ़्टवेयर-डिफाइंड रेडियो और एडवांस्ड डेटा लिंक्स जैसे ऑटोनोमस अनमैंड वैसल्स का विकास किया जा रहा है. साइबर, आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI), बिग डेटा एनालिटिक्स और अन्य कटिंग-एज टेक्नोलॉजी को भी भारतीय नौसेना ने खूब इस्तेमाल किया है.
15 मीटर लंबी होंगी ये बोट
नवंबर में मुंबई से गोवा के बीच भारतीय नौसेना का पहला ऑटोनॉमस बोट का परीक्षण होने वाला है, जिसे वेपंस एंड इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम इंजिनियरिंग इंस्टीट्यूट (WESEE) और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) ने विकसित किया है. यह नाव 15 मीटर लंबी है और नौसेना की योजना है कि आगामी 10 सालों में अलग-अलग साइज और टाइप के ऑटोनॉमस एरियल, सरफेस और अंडरवाटर प्लेटफ़ॉर्म को शामिल किया जाए.
ये देश पहले से कर रहे हैं इस्तेमाल
अमेरिका और चीन जैसे देशों ने पहले से ही अनमैंड नावों का उपयोग किया है. ये नावें सतह और पानी के नीचे रहने की क्षमता से लाभान्वित होती हैं और काफी सस्ती भी होती हैं. इन नावों से लड़ाई के तरीके में भी हाइपरसोनिक और डायरेक्टेड-एनर्जी वेपंस की तरह बदलाव आया है.
AI करेगा हथियार चुनने में मदद
भारतीय नौसेना जल्द ही स्वदेशी कॉम्बेट मैनेजमेंट सिस्टम (CMS) की परीक्षण शुरू करने की योजना बना रही है. इस तकनीकी केंद्र में रडार, सोनार, और अन्य सेंसर्स, साथ ही इलेक्ट्रॉनिक सिस्टमों का एकीकरण होगा. वर्ष 2024 से 2029 तक होने वाले सभी युद्धपोतों में WESEE ने नया CMS शामिल करने का प्रोजेक्ट चलाया है. इस CMS में इन-बिल्ट AI एल्गोरिदम के माध्यम से 24 से 29 के बीच तेजी से खतरों को पहचाना जा सकेगा और युद्धपोतों को युद्ध के लिए सबसे उपयुक्त हथियार चुनने में मदद करेगा. इसे वर्तमान युद्धपोतों के CMS के साथ भी संवाद करने की क्षमता होगी.
अभी और विकसित करने का काम चल रहा है
WESEE और BEL ने तीन विभिन्न वेरिएंट वाले टॉप-लेवल एन्क्रिप्टेड सॉफ़्टवेयर-डिफाइंड रेडियो (SDRs) विकसित किए हैं. ये SDRs नौसेना के सभी युद्धपोतों में लगे हुए हैं, जिनमें SDR-टैक्टिकल को लगाने का काम चल रहा है, SDR-FA (फाइटर एयरक्राफ्ट) के ट्रायल का भी काम जल्दी ही पूरा हो जाएगा. इन SDRs में मल्टीमीडिया की क्षमता है और वे लंबी दूरी तक डेटा भेज सकते हैं. WESEE ने नए जेनरेशन के डेटा लिंक-II सिस्टम का भी विकास किया है.
यह भी पढ़ें - आखिर क्या है लंगड़ा आम की कहानी, इसे कैसे मिला यह नाम? जानिए...