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Party Merger Law: बड़ी पार्टी में कैसे शामिल होते हैं छोटे राजनीतिक दल, ये है नियम
साल 2021 में बिहार के राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का जनता दल युनाइटेड में विलय हुआ था. इस विलय के दौरान चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित सभी नियमों का पालन किया गया था.
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देश में लोकसभा के चुनाव संपन्न हो गए हैं. लेकिन राजनीति से जुड़े विषयों पर बातचीत अभी भी जारी है. अभी कुछ दिनों पहले ही अजीत पवार की एनसीपी ने शरद पवार की पार्टी पर आरोप लगाया था कि चुनावी नतीजों के आने के बाद शरद पवार की पार्टी के ज्यादातर पदाधिकारी, कार्यकर्ता और जनप्रतिनिधि कांग्रेस में चले जाएंगे. अजीत पवार की पार्टी ने यहां तक कहा कि संभव है कि पार्टी का कांग्रेस में ही विलय हो जाए.
हालांकि, शरद पवार की एनसीपी के प्रवक्ता महेश तपासे ने इसका खंडन किया था. खैर आज हम आपको इन राजनीतिक बयानों से इतर ये बताएंगे कि एक छोटी राजनीतिक पार्टी कब, क्यों और कैसे किसी बड़ी पार्टी में अपना विलय कर लेती है. इसके अलावा आपको ये भी बताएंगे कि विलय के लिए क्या उसे किसी तरह के नियम को फॉलो करना होता है या नहीं.
पार्टियों के विलय का नियम क्या है?
साल 2016 में हरियाणा जनहित कांग्रेस का भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में विलय हुआ था. इस विलय के दौरान चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित नियमों का पालन किया गया था. चुनाव आयोग कहता है कि अगर दो पार्टियां आपस में विलय के लिए तैयार हैं तो उन्हें अधिकार है कि वह अपना विलय कर लें.
लेकिन ऐसा करने के लिए पहले उन्हें चुनाव आयोग को एक साझा पत्र लिखना होगा. इस पत्र पर चुनाव आयोग के मुहर के बाद छोटी पार्टी का बड़ी पार्टी में विलय हो जाता है. हालांकि, विलय पत्र पर मुहर लगाने से पहले चुनाव आयोग दोनों पार्टियों के आधिकारिक मुखिया से बातचीत करती है और ये तय करती है कि दोनों पार्टियों के विलय के लिए दोनों तरफ के मुखिया बिना किसी दबाव के तैयार हों.
बिहार में हुआ था विलय
साल 2021 में बिहार में JDU और RLSP का विलय हुआ था. माना जाता है कि ऐसा इसलिए किया गया था ताकि दोनों पार्टियों का वोटबैंक एक साथ आ जाए. जब आरएलएसपी ने जेडीयू में अपना विलय किया था तब बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कहा था कि RLSP का JDU में विलय कोई मामूली बात नहीं है. उन्होंने आगे कहा था कि इस संबंध में उपेंद्र कुशवाहा से अक्सर चर्चा होती रहती थी.
नीतीश ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा था कि उपेंद्र कुशवाहा के पार्टी में आने से खुशी हुई. अब हम सब लोग मिलकर काम करेंगे ताकि भाई चारे का माहौल बना रहे. नतीश कुमार ने आगे कहा था कि उपेंद्र कुशवाहा भले ही कह रहे हैं कि उनकी कोई इच्छा नहीं है, लेकिन हम सब मिलकर काम करेंगे और इस विलय के बाद तत्काल प्रभाव से उपेंद्र कुशवाहा जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष रहेंगे.
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