इस इंसान की वजह से ट्रेनों में बने थे टॉयलेट, 56 वर्षों तक बिना शौचालय के पटरियों पर दौड़ती रही रेलगाड़ी
भारत में ट्रेन के चलने की शुरूआत साल 1853 में ही हो गई थी. लेकिन जब देश में ट्रेन चलने की शुरूआत हुई तो उस वक्त रेलगाड़ी में शौचालय नाम की कोई व्यवस्था नहीं थी.

भारतीय रेलवे में समय के साथ काफी बदलाव हुआ है. आप आज जिस तरह के हाईटेक ट्रेन पटरियों पर दौड़ते देख रहे हैं, पहले ऐसा नहीं था. वहीं जब आप और पीछे जाएंगे तो पाएंगे कि एक वक्त ऐसा भी था जब ट्रेन में शौचालय तक नहीं थे. बिना टॉयलेट के भारत में ट्रेन एक दो साल नहीं बल्कि पूरे 56 साल तक यात्रियों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाती थीं. अब सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि रेलवे वालों को 56 साल बाद ट्रेन में टॉयलेट बनाने की सूझी. दरअसल, इसके पीछे एक व्यक्ति द्वारा लिखा गया लेटर था. आज इस आर्टिकल में हम आपको उसी लेटर से जुड़ी कहानी बताएंगे.
ट्रेन में पहली बार कब बना टॉयलेट
भारत में ट्रेन के चलने की शुरूआत साल 1853 में ही हो गई थी. लेकिन जब देश में ट्रेन चलने की शुरूआत हुई तो उस वक्त रेलगाड़ी में शौचालय नाम की कोई व्यवस्था नहीं थी. यात्रियों को तब तक अपने पॉटी को रोक के रखना पड़ता था, जब तक की ट्रेन कहीं किसी स्टेशन पर रुके नहीं. उसमें भी अगर ट्रेन कहीं रुकी है और आप पॉटी करने उतरे और ट्रेन चल दी तो ट्रेन छूटने का भी डर रहता था. इसी तरह की एक घटना की वजह से ही पहली बार ट्रेन में 1909 मे टॉयलेट को बनाया गया था. यानी उससे पहले 56 वर्षों तक ट्रेन बिना टॉयलेट के पटरियों पर दौड़ रही थी.
ट्रेन में टॉयलेट बनाने के पीछे की कहानी
तारीख थी 2 जुलाई 1909, साहिबगंज रेल डिवीजन पश्चिम बंगाल को एक पत्र मिलता है. ये पत्र कोई और नहीं बल्कि एक भारतीय नागरिक ओखिल चंद्र सेन ने लिखा था. इस पत्र में ओखिल चंद्र सेन लिखते हैं, मैं ट्रेन से अहमदपुर स्टेशन आया हूं और दर्द की वजह से मेरा पेट सूज गया है. मैं शौच करने के लिए जब पटरी के किनारे पर बैठा तो थोड़ी देर में गार्ड ने सीटी बजा दी और ट्रेन चल दी. ट्रेन में शौचालय की सुविधा ना होने की वजह से मुझे एक हाथ में लोटा और दूसरे हाथ में धोती पकड़कर दौड़ना पड़ा और इस वजह से मैं गिर भी गया. मुझे इसकी वजह से शर्मिंदा भी होना पड़ा. मैंने गार्ड को ट्रेन रुकवाने को कहा लेकिन, गार्ड मेरे लिए नहीं रुका. जिस वजह से मुझे शर्मिंदा होना पड़ा. मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि उस गार्ड पर भारी जुर्माना लगाया जाए, नहीं तो मैं ये सारी बातें अख़बार वालों को बता दुंगा. कहा जाता है कि इस लेटर के बाद रेलवे विभाग को महसूस हुआ कि ट्रेन में यात्रा कर रहे लोगों को टॉयलेट ना होने की वजह से किन दिक्कतों का सामना करना पड़ता है...और इसी के बाद से ट्रेन में शौचालय बनाने का काम शुरू किया गया.
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