Indian Railway: विज्ञान से आखिर क्या संभव नहीं है. हवाई यात्रा से लेकर अंतरिक्ष के रहस्यों तक इंसान के लिए सब कुछ विज्ञान ने ही संभव बनाया है. इसके जरिए इंसान ऐसे कारनामे कर देता है जिनको देखकर हैरत भी होने लगती है और मन में सवाल भी उठते हैं.
ऐसा ही एक सवाल पटरियों पर दौड़ती ट्रेन को देखकर मन में आता है कि आखिर कैसे बिना फिसले ट्रेन तेजी से इतनी पतली पटरियों पर दौड़ती हैं. अपने इस आर्टिकल में हम आपको इसी सवाल का जवाब देने की कोशिश करेंगे-
कैसे बिना फिसले दौड़ती है ट्रेन
ट्रेन के पटरियों पर बिना फिसले सरपट दौड़ने के पीछे वैज्ञानिक तकनीक है. इसमें भौतिकी के अंतर्गत आने वाले घर्षण के नियम का ध्यान रखा जाता है. ट्रेन की स्पीड को इस तरह से नियंत्रित किया जाता है कि वो दुर्घटनाग्रस्त ना हो. ट्रेन के दोनों किनारों से लगने वाला पार्श्वकारी बल (लैटरल बल) निश्चित सीमा के अंदर ही रहता है. जब तक पार्श्वकारी बल लंबवत लगने वाले बल से 30 या 40 प्रतिशत से अधिक नहीं होता. तब तक ट्रेन के दुर्घटनाग्रस्त होने या पटरी से उतरने का खतरा नहीं है. बल के इस स्तर को बनाए रखने के लिए वैज्ञानिक तरीकों का प्रयोग किया जाता है. ट्रेन को दुर्घटना से बचाने के लिए उसकी अधिकतम गति क्षमता से कम पर उसे चलाया जाता है.
सुरक्षा मानकों का रखा जाता है ध्यान
ट्रेन को पटरी से फिसलने और दुर्घटनाग्रस्त होने की संभावना से बचाने के लिए तमाम सुरक्षा मानक निर्धारित किए गए हैं. जिनका पालन पटरियां बिछाने के दौरान भी होता है. इसके अलावा ट्रेन चलाने वाले ड्राइवर को भी इससे संबंधित जरूरी ट्रेनिंग और निर्देश दिए जाते हैं. रेलवे के द्वारा समय-समय पर पटरियों की जांच और देखभाल होती रहती है. किसी भी तरह की खामी दिखने पर पटरियों की मरम्मत की जाती है. जिससे कि ट्रेन सरपट दौड़ती रहे.
चूक होने पर हो जाती है बड़ी दुर्घटना
ऐसा नहीं है कि ट्रेन कभी भी पटरी से नहीं उतरती. अक्सर हमें ट्रेन दुर्घटनाओं की खबरें देखने के लिए मिलती है. इनमें से पटरी से उतरने की घटनाओं का कारण तय मानकों का उल्लंघन या कई बार पटरियों में खामी भी होती है. पिछले कुछ समय से ट्रेन के पटरियों पर से उतरने की घटनाएं काफी कम हो गई हैं.
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