(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
चीन बॉर्डर के पास मौजूद इस गांव में सैकड़ों सालों से जिंदा है बौद्ध लामा की ममी, नाखून और बाल बढ़ने का भी दावा
Buddhist Lama Mummy: लाहौल स्पीति, कबायली जिला के स्पीति के गयू गांव में एक 550 साल पुरानी बौद्ध लामा की ममी है. माना जाता है कि इस ममी के बाल और नाखून आज भी बढ़ रहे हैं.
भारत का इतिहास इतना बड़ा है कि इसे पढ़ने में किसी की भी पूरी उम्र निकल सकती है. इसी इतिहास से कई तरह की कहानियां भी निकलती हैं, जिन्हें सुनकर आपके रौंगटे खड़े हो सकते हैं. इसमें कई ऐसी चीजें भी हैं, जिन पर यकीन कर पाना थोड़ा मुश्किल हो सकता है. ऐसा ही भारत-चीन सीमा के पास मौजूद स्पीति के एक गांव में भी होता है, जहां बौद्ध लामा की ममी सैकड़ों सालों से जिंदा है. दावा किया जाता है कि आज भी इस ममी के नाखून और बाल बढ़ रहे हैं.
दुनियाभर से आते हैं लोग
लाहौल स्पीति, कबायली जिला के स्पीति के गयू गांव में एक 550 साल पुरानी बौद्ध लामा की ममी है. माना जाता है कि इस ममी के बाल और नाखून आज भी बढ़ रहे हैं. समाधि में लीन इस ममी में जान है ये अभी भी रहस्य है. ग्यू हिमाचल प्रदेश में स्पीति घाटी के ठंडे रेगिस्तान में बसा हुआ एक छोटा ऐतिहासिक गांव है, जो समुद्र तल से लगभग 10,499 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. ग्यू गांव भारत चीन सीमा के करीब मौजूद है. लेकिन इस गांव में 550 साल पुरानी ममी को देखने के लिए दुनियाभर से लोग आते हैं.
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किसकी है ये ममी?
लाहौल स्पीति घाटी की ऐतिहासिक ताबो मठ से करीब 50 किमी दूर भारत-चीन सीमा पर स्थित गयू गांव साल में 6-8 महीने बर्फ से ढके रहने की वजह से दुनिया से कटा रहता है. यहां के लोगों की इस ममी को भगवान समझकर पूजते हैं. कहा जाता है यह ममी तिब्बत से गयू गांव में आकर तपस्या करने वाले लामा सांगला तेनजिंग की है. जिनकी मृत्यु 45 साल की उम्र में हो गई थी. भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) को सड़क निर्माण कार्य के दौरान यह ममी मिली थी.
सिर से खून निकलने का भी दावा
बताया जाता है कि 1975 में यहां आए भूकंप में यह ममी जमींदोज हो गयी थी. 1995 में आईटीबीपी के जवानों को सड़क बनाते समय खुदाई में यह ममी फिर मिल गई. कहा तो यहां तक जाता है कि खुदाई के समय इस ममी के सिर पर कुदाल लगने से खून तक निकल आया था. ममी पर इस ताजा निशान को आज भी देखा जा सकता है. 2009 तक यह ममी ITBP के कैंपस में रखी हुई थी. बाद में इस ममी को गयू गांव में स्थापित कर लिया गया. प्राकृतिक रूप से संरक्षित अब इस ममी को शीशे में संरक्षित कर रखा दिया गया है.
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