उत्तर भारत खासतौर से यूपी या बिहार के गांवों में कुछ चीजें सदियों से फॉलो की जाती रही हैं. इन्हीं में से एक चीज है एक खास सब्जी जिसे सिर्फ पुरुष काटते हैं. महिलाएं इस सब्जी को नहीं काटतीं. अगर आप यूपी बिहार के किसी गांव से आते हैं तो आपको पता होगा कि वहां के घरों में अगर कोंहड़ा, जिसे कुछ लोग हरा वाला कद्दू भी कहते हैं, आ जाए तो घर की महिलाएं घर के किसी पुरुष या फिर लड़के को बुलाती हैं कि आ कर इस सब्जी में चाकू से एक कट लगा जाए...उसके बाद ही महिलाएं इसे काटती हैं.


कद्दू की अहमियत


उत्तर भारत में किसी भी तरह का भोज हो उसमें अगर कद्दू की सब्जी पूड़ी के साथ ना हो तो इसे संपन्न ही नहीं माना जाता. खासतौर से अगर किसी शुभ काम के बाद का भोज हो तो उसमें कद्दू की सूखी सब्जी जरूर बनती थी. दरअसल, ये हाजमे के लिए भी ठीक होता है और इसमें मौजूद गुण पेट में गए तेल मसाले को डायलूट करने में सहायता करते हैं.


महिलाएं क्यों नहीं काटतीं इसे


अगर आप इसके पीछे किसी वैज्ञानिक तर्क को तलाशेंगे तो आपके हाथ खाली ही रहेंगे. यानी विज्ञान में ऐसा ना करने के पीछे कोई कारण नहीं है. हालांकि, मान्यताओं के अनुसार, महिलाओं द्वारा कोंहड़ा या कद्दू ना काटने के पीछे एक कहानी छिपी हुई है. दरअसल, उत्तर भारत में कद्दू को बेहद पवित्र माना जाता है. इसका इस्तेमाल पूजा-पाठ में भी किया जाता है. यहां तक की कुछ मामलों में कद्दू की बलि भी दी जाती है. अब आते हैं इस सवाल पर कि आखिर महिलाएं कद्दू क्यों नहीं काटतीं.


उत्तर भारत में कुछ कहानियां प्रचलित हैं. इन्हीं में से एक कहानी के मुताबिक, कोंहडा या हरे वाले कद्दू को यहां के लोग घर के बड़े बेटे के तौर पर देखते हैं. यही वजह है कि घर की महिलाएं इस सब्जी पर चाकू सबसे पहले नहीं चलाती. एक बार घर का कोई लड़का या पुरुष इस पर चाकू चला देता है, तब घर की महिलाएं इस सब्जी को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लेती हैं और फिर इसकी स्वादिष्ट सब्जी बना दिया जाता है.


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