Radioactive Bread: ब्रिटेन में हुई एक मेडिकल रिसर्च इन दिनों चर्चा में है, इस रिसर्च के दौरान कुछ महिलाओं को रेडियोएक्टिव वाली रोटियां खिलाई गई थीं. खास बात ये है कि सभी महिलाएं भारतीय मूल से थीं. इन महिलाओं पर करीब 63 साल पहले ये प्रयोग किया गया था, जिसका खुलासा होने के बाद अब मामले की जांच की बात कही जा रही है. आइए जानते हैं कि आखिर ये रेडियोएक्टिव रोटियां महिलाओं को क्यों दी गई और इस पूरी मेडिकल रिसर्च का क्या मकसद था. 


रिपोर्ट के बाद उठे सवाल
द गार्डियन की एक रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे करते हुए बताया गया कि भारतीय मूल की 21 महिलाओं को 1960 के दशक में रेडियोएक्टिव रोटियां खिलाई गई थीं. ब्रिटेन में हुए इस मेडिकल परीक्षण के दौरान महिलाओं की रोटियों में आयरन-50 के आइसोटोप्स मिलाए गए थे. इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद ब्रिटेन के विपक्षी सांसदों ने इसकी जांच की मांग की है. उन्होंने उन महिलाओं के परिवारों को लेकर चिंता जताई है, जिन पर ये टेस्ट किया गया था. 


क्या था इस रिसर्च का मकसद?
कार्डिफ यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर ने इस मेडिकल रिसर्च को अंजाम दिया था. इस रिसर्च का पूरा मकसद महिलाओं के शरीर में आयरन की कमी को दूर करना बताया गया. जिन भारतीय मूल की महिलाओं को रेडियोएक्टिव मिली रोटियां खिलाई गईं, उनमें ये देखा गया कि आयरन की कमी दूर हो पाई या नहीं... इस रिसर्च का सच 1995 में पहली बार सामने आया था. जिसके बाद रिसर्च के लिए फंडिंग करने वाली मेडिकल रिसर्च काउंसिल ने कहा था कि टेस्ट में रिस्क काफी कम था. 


रेडिएशन कितना खतरनाक?
आमतौर पर इंसानी शरीर कई तरह की रेडिएशन का सामना करता है, एक्स-रे मशीन से लेकर सूरज की किरणों और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स तक में रेडिएशन होते हैं. हालांकि रेडिएशन की मात्रा ज्यादा होने पर ये काफी खतरनाक हो सकता है. अगर कोई शख्स रोजाना रेडिएक्टिव चीजों के संपर्क में आ रहा है तो उसे कैंसर का खतरा हो सकता है. एक आम इंसान 500 रेम तक के रेडिएशन को झेल सकता है, इसके बाद उसकी मौत हो सकती है. 



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