भारत से विदेश जाकर बसने का चलन तेजी से बढ़ रहा है. नौकरी की तलाश में दूसरे देश जाने वाले लोग अब वहीं बसना पसंद कर रहे हैं. यही कारण है कि ये लोग तेजी से भारत की नागरिकता छोड़कर दूसरे देशों की नागरिकता ले रहे हैं.  पिछले पांच सालों में 8 लाख, 34,000 भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारतीय सबसे किस देश की नागरिकता ले रहे हैं. आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे. 


भारत


भारत आज चीन को पीछे छोड़ते हुए सबसे अधिक आबादी वाला देश बन चुका है. इतना ही नहीं दुनिया के अधिकांश देशों में आपको भारतीय मुल्क के लोग मिल ही जाएंगे. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारतीय नागरिकता छोड़कर लोग किस देश में सबसे अधिक जाना पसंद कर रहे हैं. 


बड़ी संख्या में भारतीयों ने छोड़ी नागरिकता


कोविड-19 महामारी से पहले यानी साल 2011 से 2019 के दौरान औसतन 132,000 भारतीय हर साल अपनी नागरिकता छोड़ रहे थे. वहीं साल 2020 और 2023 के दौरान यह संख्या 20 फीसदी बढ़कर हर साल दो लाख से ज्यादा हो गई है. पिछले महीने केंद्र सरकार ने राज्यसभा में भारतीयों के पलायन के जो आंकड़े पेश किए थे, वो चौंकाने वाला था. विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने अपनी नागरिकता छोड़ने वाले भारतीयों की संख्या के बारे में जानकारी दी है. उनके द्वारा राज्यसभा में पेश आंकड़ों के अनुसार 2023 में दो लाख, 16 हजार से अधिक भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी है.


इस साल सबसे ज्यादा नागरिकों ने छोड़ा देश


विदेश राज्य मंत्री ने लिखित जवाब में जानकारी देते हुए बताया है कि 2011 से 2018 तक का डेटा कहता है कि 2023 में अपनी नागरिकता छोड़ने वाले भारतीयों की कुल संख्या 2,16,219 थी. इसकी तुलना में पिछले सालों के आंकड़े कम थे. बता दें कि 2022 में 2,25,620, 2021 में 1,63,370, 2020 में 85,256 और 2019 में 1,44,017 भारतीयों ने नागरिकता छोड़ी है.


अमेरिका में सबसे ज्यादा भारतीय


बता दें कि 2018 से 2023 तक भारतीयों ने 114 देशों में नागरिकता हासिल की है. इसमें अधिकांश लोग अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, यूके और जर्मनी में जाकर बस गए हैं. बता दें कि पिछले छह सालों में 70 लोगों ने पाकिस्तानी नागरिकता भी हासिल की है. वहीं 130 लोगों ने ने नेपाली नागरिकता हासिल की और 1,500 लोगों ने केन्याई नागरिकता का विकल्प चुना है. चीन के बाद भारत में अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या दूसरी सबसे अधिक है, यहां के 15 लाख छात्र विदेश में पढ़ते हैं. लेकिन सबसे अधिक लोग अपनी नागरिकता छोड़कर अमेरिका जाना पसंद कर रहे हैं.


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