India's Biggest Rail Accident: भारत में होने वाले रेल हादसों (Rail Accidents) में हर साल कई जानें जाती हैं. हालांकि, बीते कुछ सालों से रेल हादसों में थोड़ी कमी आई और हादसों में मारे जाने वालों का आंकड़ा भी काफी कम हुआ है. रेल दुर्घटना की कई वजहें होती हैं. जिनमें तकनीकी खराबी, मानवीय भूल, लापरवाही, खराब मौसम आदि वजहें शामिल हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, भारतीय रेलवे के इतिहास में 166 साल बाद 2019 ऐसा साल रहा, जब रेल दुर्घटना में एक भी व्यक्ति को अपनी जान नहीं गंवानी पड़ी. लेकिन, देश में एक बार ऐसा रेल हादसा भी हुआ था, जिसने सिर्फ देश को ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया था.
ये था पूरा घटनाक्रम
बरसात का मौसम चल रहा था, शाम का समय था और दिन था 6 जून 1981. यात्रियों से खचाखच भरी 9 बोगियों वाली गाड़ी संख्या 416dn पैसेंजर ट्रेन, मानसी से सहरसा के लिए जा रही थी. ट्रेन बदला घाट और धमारा घाट स्टेशन के बीच पड़ने वाली बागमती नदी पर बनें पुल संख्या-51 से गुजर ही रही थी कि दुर्घटनाग्रस्त हो गई. पिछले 7 डिब्बे ट्रेन से अलग होकर नदी में गिर गए. बरसात का मैदान था तो बागमती का जलस्तर भी बढ़ा हुआ था, पलक झपकते ही ट्रेन नदी में डूब गई. ट्रेन के उन 7 डिब्बों में सवार यात्रियों को बचाने वाला वहां कोई नहीं था. आसपास के लोगों के नदी के पास पहुंचने तक सैकड़ों लोगों की नदी में डूबकर मौत हो चुकी थी.
भारत का सबसे बड़ा रेल हादसा
इस हादसे को भारत का सबसे बड़ा और विश्व का दूसरा सबसे बड़ा रेल हादसा बताया गया. हादसे के कई दिनों बाद तक सर्च ऑपरेशन चला. गोताखोरों की 5 दिन की कड़ी मशक्कत के बाद नदी से 200 से भी ज्यादा लाशें निकालीं गई. सरकारी आंकड़े कहते हैं कि इस हादसे में लगभग 300 यात्रियों की मौत हुई, जबकि आसपास के लोगों का कहना था कि इस रेल हादसे में करीब 800 लोगों ने अपनी जान गंवाई.
हादसे के बताए जाते हैं कई कारण
6 जून, 1981 को हुए हादसे की कई वजहें बताई जाती हैं. किसी का कहना है कि तेज आंधी की वजह से हादसा हुआ, तो कोई कहता है कि नदी में अचानक बाढ़ आने के कारण ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी. इसके अलावा कुछ लोग यह भी बताते हैं कि पुल पर आई एक गाय को बचाने के लिए लोको पायलट ने अचानक से तेज ब्रेक लगा दिए थे, जिस वजह से ट्रेन के पिछले 7 डिब्बे पलट गए और पुल तोड़कर नदी में जा गिरे.
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