आपसे कोई कहे कि क्या आप सांडों के ‘विक्की डोनर’ को जाानते हैं तो आपका क्या जवाब होगा. जी हां, आप सही पढ़ रहे हैं. हम आपको एक ऐसे सांड के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे विक्की डोनर भी कहा जाए तो गलत नहीं होगा. दरअसल उत्तरप्रदेश में एक ऐसा सांड है जिसके सीमन से अबतक 50,000 देसी गायों का जन्म हो चुका है. इस सांड को भारत का सबसे खास सांड माना जा रहा है, जिसका सीमन देसी गायों की चाह रखने वालों के लिए बहुत कारगर साबित हो रहा है. हम बात कर रहे हैं उत्तरप्रदेश में मौजूद सांड ‘गोरख’ की. जिसे केंद्र सरकार ने देश का सबसे अच्छा बैल प्रमाणित किया है.


गोरख क्यों है बेहद खास?


29 जनवरी 2014 में मिर्जापुर में जन्मा गोरख पूरे देश में अकेला ऐसा सांड है जिसके सीमन से गंगातिरि नस्ल की गायों का जन्म हो रहा है. 2019 से गोरख के सीमन का उपयोग गायों के जन्म के लिए किया जा रहा है. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तरप्रदेश में जितनी भी गंगातिरि गायों का जन्म सीमन से हुआ है उनका पिता 6 फुट लंबे और 600 किलो वजनी गोरख ही है.


दरअसल गोरख का सीमन हफ्ते में दो बार इकट्ठा किया जाता है जिसे खास तरह से लैब में रखा जाता है. फिर एक खास प्रोसेस के जरिये छोटे-छोटे स्ट्रॉ में भरकर गोरख के सीमन को भारत के विभिन्न हिस्सों में भेजा जाता हैं. जो गंगातिरि गायों की चाह रखने वाले किसान अपनी गायों के लिए लेते हैं.


क्या होती है डाइट?


गोरख की डाइट भी बेहद खास होती है, जिसका ध्यान उत्तर प्रदेश का अति हिमीकृत वीर्य उत्पादन केंद्र, हापुड़ रखता है. पिछले सात सालों से गोरख यहां रह रहा है, जिसके सीमन प्रोडक्शन 2019 से लिया जा रहा है. इसके सीमन से जन्म लेने वाली गंगातिरि नस्ल की गाय उत्तर भारत के किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं हैं. जो बेहतह दुग्ध का उत्पादन करती हैं. खास बात ये है कि इस नस्ल की गायों के जन्म की पूरी जम्मेदारी गोरख के कंधों पर टिकी हुई है.


गोरख के खानपान की बात करें तो उसमें सीजनल सब्जियां, 10 किलो भूसा और 4 किलो ब्रेड का मिक्चर दिया जाता है. इसके अलावा इसके सीमन से भी इस बात का अंदाजा लगाया जाता है कि इसके खानपान को किस तरह का रखना है.                                                


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