Death Facts: मौत अटल है. एक न एक दिन हर किसी को मरना है. मौत दुनिया के कुछ अनसुलझे रहस्यों में से एक है. अचानक से चलते-फिरते आंखों से देखकर दिमाग में काफी कुछ सोचने और काम करने वाले इंसान की जब एक झटके में मौत हो जाती है, तो उसका शरीर इस सच को आखिर कैसे स्वीकार करता है? शरीर से प्राण निकलने के बाद बेजान हो जाने वाले शरीर के अंदर क्या-क्या होता है? मौत से जुड़े ये वो सवाल हैं, जिन पर वैज्ञानिकों ने न जाने कितने रिसर्च कर डाले हैं. आज इस आर्टिकल में हम आपको इन्ही सवालों से जुड़े हुए कुछ ऐसे तथ्य बताएंगे, जिन्हे जानकर आप शायद हैरान हो जाएं. 


बर्फ की तरह ठंडा हो जाता है शरीर


वैज्ञानिक भाषा में इसे Algor एम कहते हैं. ये वो स्थिति होती है, जब आपके शरीर का तापमान तेजी से गिरने लगता है. आमतौर पर इंसान के शरीर का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस होता है, लेकिन मौत होने के बाद ये 0.8 डिग्री सेल्सियस/घंटा की दर से ठंडा होने लगता है. इसे आम भाषा में शरीर का ठंडा होना कहते हैं.


शरीर का अकड़ जाना


मौत से कुछ घंटे बाद ही शरीर के हर एक अंग में अकड़न शुरू हो जाती है. शरीर विज्ञान के अनुसार, ऐसा Adenosine Triphosphate का स्तर तेजी से गिरने के कारण होता है. इसकी शुरुआत पलकों में ऐंठन और गले की मांसपेशियों में अकड़न से होती है.


मौत का 'दिल' पर क्या असर?


आपने देखा होगा कि डॉक्टर इंसान की मौत तब घोषित करते हैं, जब उसका हार्ट यानी दिल काम करना बंद कर देता है. असल में जब दिल काम करना बंद कर देता है तो खून की पंपिंग भी बंद हो जाती है और इंसान के दिल के अंदर खून भरना शुरू हो जाता है. ऐसे में नसों और धमनियों में भी खून ही खून भर जाता है.


शरीर बदलने लगता है अपना रंग


खून का बहना बंद होते ही शरीर में बदलाव का दौर शुरू हो जाता है. शरीर में दो रंग दिखने लगते हैं. शरीर का निचला हिस्सा एकदम स्थिर हो जाता है और ये पीले या सफेद रंग का होने लगता है. जबकि शरीर का ऊपरी हिस्सा, जहां खून जमता है, वो लाल या नीले रंग का दिखता है.


मांसपेशियां कुछ घंटे बाद भी रहती हैं जिंदा


भले ही सुनने में थोड़ा अजीब लगे, लेकिन मौत के कुछ घंटे बाद तक इंसान की मांसपेशियां जिंदा रहती हैं. इसी वजह से कभी-कभी किसी के मरने के बाद भी शरीर में थोड़ी हरकत या इनका फड़कना देखा जा सकता है.


शरीर से आवाजों का आना


मौत के बाद इंसान का शरीर अकड़ने लगता है तो इस वजह से तरह-तरह की आवाजें भी आती है. कई बार ये आवाजें डकार और फार्ट के तौर पर भी सामने आती हैं. अस्पताल में मौत होने पर कई बार डॉक्टर और नर्स भी इन आवाजों को सुनकर दंग रह जाते हैं.


सबसे आखिर में हड्डियां छोड़ती हैं साथ


मौत के कुछ समय बाद ही शरीर के डिकॉम्पोजिशन की प्रक्रिया शुरू हो जाती है. जीते जी जो एंजाइम खाना पचाने में मदद करते हैं, मौत के बाद वही शरीर के अंगों को पचाना शुरू कर देते हैं. सबसे आखिर में हमारे शरीर की हड्डियों का डिकॉम्पोजिशन होता है. मौत के 10-20 साल बाद शरीर की हड्डियां गलना शुरू होती हैं.


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