आपदा आने से पहले ही बकरियों को लग जाती है भनक! पढ़िए क्या कहती है रिपोर्ट
कब और कहां भूकंप या सुनामी जैसी घटनाये घटने वाली है, इसकी आज भी वैज्ञानिक सटीक भविष्यवाणी नहीं कर पाते हैं. लेकिन अब बकरियां इसकी बिल्कुल सही भविष्यवाणी कर रही हैं. आइए जानते हैं.
आज भी वैज्ञानिक सटीक भविष्यवाणी नहीं कर पाते हैं कि कब और कहां भूकंप या सुनामी जैसी घटनाये घटने वाली है. जब तक वैज्ञानिक अनुमान लगा पाते हैं, तब तक सबकुछ नष्ट हो चुका होता है. ऐसे मे कई बार सवाल उठ चुके हैं कि क्या जानवरों को प्राकृतिक घटनाओं के बारे में पहले से ही पता चल जाता है? तुर्की में भूकंप के समय का वह वीडियो तो आपने देखा ही होगा, जिसमें भूकंप के आने से पहले पक्षियों का झुंड आसमान में शोर मचाने लगा था.
उस समय यह दावा किया गया था कि उन्हें इस दुर्घटना का पहले से ही पता लग चुका था. ठीक उसी तरह अब बकरियां भी इसकी सटीक भविष्यवाणी कर रही हैं. बकरियां ज्वालामुखी फटने से 4 घंटे पहले ही अलर्ट कर देती है. अब सवाल यह है कि बकरियां किस तरह भविष्यवाणी कर रही है और कहां चल रहा है यह प्रयोग?
बकरी पर स्टडी की गयी
जर्मनी में मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट ऑफ एनिमल बिहेवियर के बॉयोलॉजिस्ट मार्टिन विकेल्स्की (Martin Wikelski) ने बाकियों पर अध्ययन किया. मार्टिन विकेल्स्की के मुताबिक, बकरियों को 4 से 5 घंटे पहले ही घटना का पता चल जाता हैं. बकरियों के व्यवहार में बदलाव आने लगता है. डायचे वैले की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 10 साल से मार्टिन विकेल्स्की बकरियों के व्यवहार पर अध्ययन कर रहे और ज्वालामुखी के विस्फोट से पहले बकरियों के व्यवहार की जांच कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि हमें नहीं मालूम कि ज्वालामुखी विस्फोट कब और कहां होगा, लेकिन बकरियां इसकी सटीक भविष्यवाणी कर सकती हैं.
बकरियां किस तरह करती है भविष्यवाणी?
स्थानीय लोगों का कहना है कि ज्वालामुखी के विस्फोट से पहले ही बकरियां पहाड़ों को छोड़कर हमारे पास आ जाती हैं. जब तक ज्वालामुखी का विस्फोट नहीं हो जाता तब तक बकरियां ऊपर चरने के लिए नहीं जातीं है. मार्टिन विकेल्स्की ने इसकी जांच करने के लिए 15000 बकरियों पर ट्रांसमीटर लगाए जिससे सही तरीके से उन्हें ट्रैक किया जा सके. समान्य रूप से बकरियां काफी तेजी से पहाड़ चढती हैं और लेकिन अगर बकरियां ऐसा न करें तो? वैज्ञानिकों ने यही से शुरुआत की. कुछ बड़े विस्फोट हुए ऐसे में बकरियां हमेशा नीचे ही रहीं, जबकि आमतौर पर ऐसा नहीं होता.