हर साल 11 दिसंबर को Worldwide Mountain Day मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य पहाड़ों के महत्व को उजागर करना और पर्यावरणीय बदलावों को लेकर जागरूकता फैलाना है. पर्वतों की अपनी खास पहचान है, क्योंकि ये न सिर्फ प्राकृतिक सुंदरता का हिस्सा हैं, बल्कि हमारी जीवनशैली, जलवायु और जैवविविधता से भी गहराई से जुड़े हुए हैं, वहीं पर्वतारोहण के कई लोग शौकीन होते हैं तो वहीं कई लोगों के लिए किसी ऊंची चोटी पर चढ़ना एक सपना होता है. हर साल लाखों लोग अलग-अलग पर्वतों पर पर्वतारोहण के लिए जाते हैं. ऐसे लेकिन सवाल यह है कि पर्वत पर चढ़ने के लिए कितनी फीस देनी पड़ती है और इसके लिए कौन से डॉक्यूमेंट्स जरूरी होते हैं? चलिए जानते हैं.
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पर्वतारोहण के लिए कितनी फीस देनी होती है?
पर्वतारोहण, खासकर ऊंचे पहाड़ों पर, एक महंगा और चुनौतीपूर्ण काम हो सकता है. दुनिया के कई प्रमुख पर्वतारोहण स्थलों पर चढ़ाई के लिए आपको कुछ फीस देनी पड़ती है, जो कि अलग-अलग चीजों पर निर्भर करती है, जैसे पर्वत की ऊंचाई, चढ़ाई की कठिनाई और पर्वतारोहण कंपनी द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाएं. वहीं अलग-अलग पर्वतों पर चढ़ने के लिए अलग-अलग फीस जमा करने होती है.
एवरेस्ट (Mount Everest): दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत एवरेस्ट पर चढ़ाई करना बेहद महंगा है. एवरेस्ट पर चढ़ाई के लिए लगभग 30,000 डॉलर (लगभग 22 लाख रुपये) तक फीस देनी पड़ती है. इसमें केवल ट्रैकिंग परमिट की फीस शामिल है. इसके अलावा, पर्वतारोहण उपकरण, गाइड, खच्चर (दुग्ध लेने वाले जानवर) और अन्य सेवा शुल्क अलग से होते हैं.
किलिमंजारो (Mount Kilimanjaro): अफ्रीका का सबसे ऊंचा पर्वत किलिमंजारो पर चढ़ाई की फीस 1,500 डॉलर (लगभग 1 लाख रुपये) से शुरू होती है. इसमें ट्रैकिंग परमिट, गाइड और पोर्टर की सेवाएं शामिल होती हैं.
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कंचनजंगा (Kangchenjunga) और अन्नपूर्णा (Annapurna): नेपाल में स्थित कंचनजंगा और अन्नपूर्णा जैसे पर्वतों पर चढ़ाई करने के लिए शुल्क 5,000 डॉलर (लगभग 3.7 लाख रुपये) से लेकर 10,000 डॉलर (लगभग 7.4 लाख रुपये) तक हो सकता है, जिसमें गाइड, खाना, और रहने की व्यवस्था शामिल होती है.
पर्वतारोहण के लिए ये डॉक्यूमेंटस होते हैं जरुरी
पर्वतारोहण के लिए सबसे पहले आईडी प्रूफ जैसे आधार कार्ड, पासपोर्ट जरुरी होते हैं. इसके अलावा ट्रैकिंग परमिट, स्वास्थ्य प्रमाणपत्र, स्वास्थ्य प्रमाणपत्र, इंश्योरेंस और विजा की जरुरत होती है.
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