International Nelson Mandela Day: नेल्सन मंडेला वो नाम है जिन्हें किसी परिचय की जरुरत नहीं है. नेल्सन मंडेला को एक शांतिदूत के रूप में पहचाना जाता है. उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद की लड़ाई गांधीजी की ही तरह अहिंसा से लड़ी. इसके लिए उन्हें 27 सालों तक जेल में भी रहना पड़ा, लेकिन फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और आखिरकार उसी देश के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने. 18 जुलाई को नेल्‍सन मंडेला की जयंती होती है. इस दिन को दुनियाभर में अंतरराष्‍ट्रीय नेल्‍सन मंडेला डे के तौर पर मनाया जाता है. चलिए आज इस खास मौके पर उनकी जिंदगी के कुछ खास किस्से जानते हैं.


27 साल जेल में रहे कैदी


रंगभेद की लड़ाई में नेल्सन मंडेला बहुत आगे बढ़ चुके थे, वो अश्वेतों के लिए भी बराबरी के हक की मांग कर रहे थे. उन्हें साल 1947 में वे अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस यूथ लीग का सचिव चुना गया. फिर साल 1961 में मंडेला और उनके कुछ दोस्तों के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलाया गया. हालांकि इसमें वो निर्दोष साबित हुए. लेकिन अब भी उनसे काले बादल हटे नहीं थे, इसके बाद 1962 में उन पर मजदूरों को हड़ताल के लिए उकसाने और बिना अनुमति देश छोड़ने के आरोप लगाए गए, इस मामले में उन्‍हें गिरफ्तार कर लिया गया. साल 1964 में नेल्‍सन मंडेला को आजीवन कारावास की सजा सुना दी गई. यहां वो कैदी नंबर 466 थे.


इस दौरान उन्होंने कोयले की खदान में काम किया और भरसक संघर्ष किया. जेल में रहते हुए ही उन्होंने अपनी वकालत की पढ़ाई पूरी की. इस दौरान उन्‍होंने अपने जीवन के 27 साल जेल में बिताए. साल 1990 में अफ्रीका की श्वेत सरकार को उनके सामने घुटने टेकने पड़े और उनकी जेल से रिहाई हो गई. यही वो समय था जब वो एक नया इतिहास रच रहे थे. दरअसल ये वो समय था जब दक्षिण अफ्रीका में सफलता की एक नई इबारत लिखी जा रही थी और नेल्सन मंडेला दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति के रूप में शपथ ले रहे थे. उन्होंने दक्षिण अफ्रीका पर लगभग 10 साल राष्ट्रपति के रूप में शासन किया.


भारत-पाकिस्तान दोनों ने किया सम्मानित


जेल से बाहर आने के बाद भी मंडेला ने अपना रंगभेद का अभियान जारी रखा था. उन्होंने गांधीजी की ही तरह इसे अंहिसात्मक तरीके से चलाया, यही वजह है कि उन्हें अफ्रीका का गांधी कहा जाता है. उनकी रंगभेद की लड़ाई के दौरान कई देशों का ध्यान उनकी ओर गया और भारत सरकार ने साल 1990 में देश के सर्वोच्च सम्मानभारत रत्नसे मंडेला को सम्मानित किया. वो पहले विदेश नागरिक थे जिन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मान से नवाजा गया था. आपको जानकर हैरानी होगी कि मंडेला पाकिस्तान के भी पहले राष्ट्रपति थे जिन्हें पाकिस्तान ने भी अपन सर्वोच्च सम्मान निशान--पाकिस्तान से सम्मानित किया था.


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