International Tiger Day 2024: आज दुनियाभर में  अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जा रहा है. इसे मनाने की शुरुआत 29 जुलाई, 2010 को सेंट पीटर्सबर्ग में की गई थीजिसका मुख्य उद्देश्य दुनिया भर में बाघों के संरक्षण और प्रबंधन को करने वाले टाइगर रेंज वाले सभी देशों को एक साथ लाना था. ये दिन बाघों के सामने आने वाली चुनौतियों और उनके भविष्य की सुरक्षा के लिए किए जा रहे प्रयासों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के एक मंच के रूप में काम करता है. बाघों की संख्या को घटने से रोकने के लिए दुनियाभर में अलग-अलग देश की प्रयास कर रहे हैं. इस बीच चलिए जानते हैं कि पिछले 20 सालों में भारत सरकार ने भारत को बाघों के लिए अनुकूल जगह बनाया है.


दुनियाभर के 70 प्रतिशत जंगली बाघ भारत में


अखिल भारतीय बाघ की रिपोर्ट की मानें तो साल 2022 में भारत में बाघों की न्यूनतम संख्या 3,167 बताई गई थी. बाघों की गणना हर चार साल में एक बार की जाती है और ये पांचवी बार था जब बाघों की गणना की गई थी, जिसमें पाया गया है दुनियाभर के 70 प्रतिशत जंगली बाघों का निवास भारत में है.


भारत में कब गया बाघों के सरंक्षण पर ध्यान?


भारत में आजादी के पहले ही बाघों की संख्या कम होती जा रही थी, जो आजादी के बाद और कम हो गई, जिसे देखते हुए भारत सरकार ने साल 1973 में बाघों को संरक्षण प्रदान करने के मकसद से प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत की. इस प्रोजेक्ट के तहत कई सारे टाइगर रिजर्व स्थापित किए गए. कई तरह की नीतियां बनाई गईं, जिससे बाघों के शिकार को रोका जा सके और उनकी संख्या बढ़ाने पर काम किया जा सके. इसी की बदौलत फिलहाल भारत में कुल 54 टाइगर रिजर्व हैं. इनके चलते भारत में बाघों की संख्या निरतंर बढ़ ही रही है.


आंकड़ों पर नजर डालें तो लगभग 20 साल पहले साल 2006 में बाघों की संख्या 1,411 थी जो 2010 में बढ़कर 1706 दर्ज की गई. इसके बाद 2014 में बाघों की संख्या 2,226 बताई गई. 2018 में ये संख्या 2,967 दर्ज की गई तो वहीं 2022 में हुई गणना में बाघों की संख्या 3167 थी. आंकड़े यही बताते हैं कि पिछले कुछ सालों में बाघों के लिए भारत जन्नत बनता जा रहा है.                                                            


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